संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में अफ्रीका के कांगो (डीआर) में 26 जुलाई को प्रदर्शनकारियों ने सेना पर हमला बोल दिया था। इस हमले में राजस्थान के सीकर जिले के शिशुपाल सिंह शहीद हो गए थे। हमले के 7 दिन बाद उनका शव घर पहुंचा।
सीकर. सीकर के रहने वाले शिशुपाल सिंह के पिता को सोमवार सुबह तक यह पता तक नहीं था कि उनका बेटा शहीद हो गया है। पिता को यह बताया गया था कि विदेश में बेटा घायल हुआ है, लेकिन जल्द ही ठीक हो जाएगा। पिता रोज सवेरे और शाम बेटे की सलामती के लिए दुआ करते थे, लेकिन सोमवार जब पिता ने बेटे को तिरंगे में लिपटा देखा तो वे अपने रुलाई नहीं रोक सके। बेटे को गले से लगा लिया और रोते ही रहे। बाद में परिवार ने उनको संभाला। सीकर के शिशुपाल अफ्रीका के कांगो में मंगलवार को शहीद हुए थे। पिता को अलावा पूरे गांव यहां तक की पूरे जिले को उनकी शहादत के बारे में पता लग गया था।
सिल्वर जुबली फोन पर मनाई थी, बेटी ने कहा था कि पापा आपके लिए सरप्राइज गिफ्ट है लौट आओ
20 जुलाई को शिशुपाल की शादी को 25 साल हो गए थे। 3 मई को जब आखिरी बार परिवार से मुलाकात हुई थी तो उस समय यह तय हुआ था कि अब जब भी लौटेंगे तो बड़ा आयोजन करेंगे। बेटी कविता जो एमबीबीएस कर चुकी हैं उनका कहना है कि मैने और भाई ने तय किया था कि मम्मी और पापा को सरप्राइज देंगे। पापा लौटेंगे तो उनको ऐसा सरप्राइज देंगे कि वे हैरान हो जाएंगे। हम इसकी तैयारी भी कर रहे थे, लेकिन किसे पता था कि तीन मई तो वे कभी भी नहीं आने के लिए जा रहे हैं।
तीन भाई, तीनों देश की सेवा में, परिवार के दस से ज्यादा लोग फौज में
शिशुपाल और उनके दो भाई सेना कि किसी न किसी विंग में हैं। उसके अलावा परिवार में दस से भी ज्यादा लोग अलग-अलग सेना की विंग में हैं। पूरे परिवार में ही सेवा का जज्बा है। दिल्ली से जब पार्थिव देह सीकर पहुंचा और आज सीकर में जब गांव में पार्थिव देह को लाया गया तो दस किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी तिरंगा यात्रा निकाली गई। वंदे मातरम और भारत माता की जय के उद्घोष के बीच सैंकड़ों की संख्या में वाहन चालक शहीद शिशुपाल की पार्थिव देह के साथ चलते रहे। बाद में उनके गांव में उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
यहां देखें शहीद के शव में निकाली गई तिरंगा यात्रा का वीडियो
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