अंतिम बार लोहार्गल तीर्थ करने की 100 वर्षीय मां की इच्छा को बेटे ने ऐसे किया पूरा,लोग बोले आज के श्रवण कुमार

राजस्थान के सीकर में सुखद तस्वीर देखने को मिली जहां आज के इस दौर में लोग माता- पिता की सेवा नहीं कर रहे है वहीं राजस्थान के इस लाल ने अपनी मां को लोहार्गल की तीर्थ यात्रा कराई। उनकी यात्रा में पोता पोती भी साथ रहे।

सीकर. आज के दौर में जहां बेटे— बहु बूढ़े मां- बाप के साथ मारपीट कर उन्हें घर से बाहर निकाल रहे हैं वहीं सीकर जिले के एक किसान ने मातृभक्ति की मिसाल पेश की है। जिले सांवलोदा धायलान निवासी सुमेर सिंह की करीब 100 वर्षीय मां उगम कंवर ने जब बेटे से लोहार्गल तीर्थ की यात्रा करवाने की अंतिम इच्छा बताई तो उसने श्रवण कुमार की तरह कांवड़ में बिठाकर उसे पूरा किया। पूरे परिवार सहित की गई इस यात्रा में उगम कंवर के पोते— पोती भी साथ रहे। जिन्होंने भी 25 घंटे की इस यात्रा में दादी की कावड़ को कंधे पर ढोकर धूमधाम से उनकी मंशा पूरी की।

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धार्मिक जीवन जीती है मां, जीवन काल में की 15 यात्रा
उगम कंवर धार्मिक जीवन जीती है। दिन भर माला जपने के साथ भजन भाव करने वाली उगम कंवर विभिन्न धार्मिक यात्राओं के साथ लोहागर्ल की पहले भी 15 बार य़ात्रा कर चुकी है। लेकिन, इस बार भी जब सावन का महीना लगा तो उन्होंने बेटे के सामने फिर से अंतिम बार तीर्थ की इच्छा रख दी। जिसे बेटे ने धूमधाम से पूरा किया।

 हजारों लोगों ने सराहा, बेटे ने कहा सफल हुआ जीवन 
सांवलोदा धायलान से लोहागर्ल की यात्रा करीब 54 किमी की थी। जो सुमेर सिंह व परिवार ने रविवार देर शाम सात बजे 25 घंटे का पैदल सफर कर पूरी की। इस दौरान रास्ते में जिसने भी उन्हें कावड़ में मां को ले जाते देखा उन्होंने ही सुमेर सिंह को कलयुग का श्रवण कुमार कहते हुए सराहा। बकौल सुमेर सिंह उसके लिए मां की सेवा का सौभाग्य और लोगों की मिली सराहना ही काफी है। जिससे वह अपने पूरे जीवन का धन्य मान रहा है।

यात्रा में ये रहे शामिल
उगम सिंह की इस यात्रा में बेटे सुमेर सिंह के अलावा पोते प्रेम सिंह, मोहन सिंह, पृत्वी सिंह, जीवराज सिंह, महिपाल सिंह, कुलदीप सिंह, सुगम सिंह, भैरूं, सिंह, मांगू सिंह व रतन खीचड़ तथा पोती सोनिया, पूजा, अंकिता,शयन्ति कंवर व भतीजी सरदार कंवर भी साथ रही। जिन्होंने भी बीच बीच में उगम कंवर की कांवड़ की कमान संभाली।

पिता की लगवा चुके मूर्ति, मां ने कहा भगवान सबको दे ऐसा बेटा
तीर्थयात्रा के दौरान मां उगम कंवर काफी भावुक दिखी। रास्तेभर वह बेटे सुमेर व साथ आए पोते— पोतियों को आशिर्वाद व दुआएं देती रही। उसने बताया कि सुमेर सिंह पिता की मृत्यु के बाद उनकी भी गांव में मकरान की मूर्ति लगवा चुके हैं और अब उसकी भी अंतिम इच्छा पूरी कर रहे हैं। कहा— भगवान ऐसा बेटा व परिवार सबको दे। उगम कंवर ने बताया कि उसके तीन अन्य बेटे भी है जो भी उसका पूरा ख्याल रखते हैं।

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