उपराष्ट्रपति बनने के बाद जगदीप धनखड़ पहली बार गुरुवार 8 सितंबर को अपने पैतृक गांव किठाना पहुंचे। उनकी मंदिरों में दर्शन करने की यात्रा यहीं से शुरू हो गई थी। इसके बाद वहां का कार्यक्रम अटैंड कर सीकर खाटूश्याम दर्शन के लिए पहुंचे। यहां ही देश की अर्थव्यवस्था को लेकर कहीं बड़ी बात।
सीकर. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश विकास कर रहा है। आदिवासी महिला राष्ट्रपति व किसान का बेटा उपराष्ट्रपति बना है। देश की अर्थव्यवस्था भी जल्द ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। जिसमें ग्रामीणों को भी शिक्षा व खेती में नई तकनीक के साथ योगदान करना चाहिए। वे गुरुवार को अपने पैतृक गांव झुंझुनूं के किठाना में नागरिक अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने अपील की कि बच्चों को खूब पढ़ाने के साथ खेती में नई तकनीक का उपयोग करें। फल व सब्जी भी बाहर से लाने की बजाय खुद उगाकर उसे बाहर बेचें। अपने गांव के लिए उन्होंने कहा कि किठाना मेरे दिल में है और हमेशा रहेगा। विकास को लेकर कहा कि उन्होंने सबको समान समझकर काम किया है। किसी को भी इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए।
गांव के मंदिरों से शुरू की यात्रा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शेखावाटी की अपनी यात्रा पैतृक गांव किठाना के मंदिरों से ही शुरू की। सरकारी स्कूल के खेल मैदान में हेलीकॉप्टर लैंड होने के बाद वे सबसे पहले जोडिय़ा बालाजी मंदिर में पहुंचे। जहां पूजा- अर्चना व आरती के बाद उन्होंने प्राचीन ठाकुर जी के मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद अपने फार्म हाउस पहुंचकर परिजनों से मुलाकात की। कुछ देर रुकने के बाद वे अभिनंदन समारेाह में शामिल हुए।
सालासर व खाटूश्यामजी के दर्शन कर जयपुर रवाना
किठाना से उपराष्ट्रपति सालासर बालाजी के लिए रवाना हुए। करीब सवा बारह बजे वे हेलीकॉप्टर से सालासर पहुंचे। जहां पत्नी सहित पूजा अर्चना के बाद वे खाटूश्यामजी के लिए रवाना हो गए। करीब 1.55 पर खाटूश्यामजी पहुंचकर उन्होंने बाबा श्याम के दर्शन किए। करीब 50 मिनट रुकने के बाद वे हेलीकॉप्टर से जयपुर के लिए रवाना हुए।
भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बंद रहे रास्ते
उपराष्ट्रपति धनखड़ के दौरा स्थलों पर सुरक्षा की भारी व्यवस्था रखी गई। उनके पहुंचने से पहले ही तीनों जगहों पर रास्ते बंद कर आम आवाजाही को बंद कर दिया गया। सालासर व खाटूश्यामजी में भी आम श्रद्धालुओं के दर्शनों पर रोक रही। उनके वहां से निकलने के बाद ही मंदिर के दर्शन आम लोगों के लिए शुरू हुए। जगह- जगह रास्ता बंद होने से इस दौरान श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों को काफी परेशानी भी हुई।
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