दो बार पढ़ाई छोड़ी, भाई के किए वादे से फिर बढ़ा विश्नास, पढ़ें झोपड़ी में रहने वाली बेटी के SI बनने की कहानी

Published : Sep 11, 2022, 11:28 AM IST
दो बार पढ़ाई छोड़ी, भाई के किए वादे से फिर बढ़ा विश्नास, पढ़ें झोपड़ी में रहने वाली बेटी के SI बनने की कहानी

सार

राजस्थान पुलिस में 450 से ज्यादा सब इंस्पेक्टर ट्रेनिंग पूरी करने के बाद फील्ड में भेजे गए हैं। बाड़मेर में रहने वाली लक्ष्मी गणवीर को भी तैनाती मिली है। उनका परिवार बहुत गरीब है और आज भी उसके माता-पिता झोपड़ी में रहते हैं। 

बाड़मेर. हाल ही में राजस्थान पुलिस में 450 से ज्यादा सब इंस्पेक्टर ट्रेनिंग पूरी करने के बाद फील्ड में भेजे गए हैं।  उन्हें अलग-अलग थानों और एसपी कार्यालयों में लगाया गया है ताकि राजस्थान में अपराध को काबू किया जा सके।  थानेदार बनने वाले इन कैंडिडेट्स में कई ऐसे हैं जिन्होंने इस पद को पाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया।  उनमें से ही एक हैं बाड़मेर में रहने वाली लक्ष्मी गणवीर।

झोपड़ी में रहते हैं माता-पिता 
बाड़मेर जिले के गुडामालानी क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली लक्ष्मी के माता-पिता अभी भी छप्पर की छत वाली झोपड़ी में रहते हैं।  पिता आंशिक रूप से विकलांग है एवं नेत्रहीन हैं।  मां ने ही तीनों बच्चों का जीवन संवारा है। बेटी लक्ष्मी 2011 में कांस्टेबल की तैयारी करने लगी। उस समय मां को यकीन नहीं था की बेटी आगे भी बढ़ सकती है। लेकिन अब लक्ष्मी ने सब इंस्पेक्टर की परीक्षा पास करने के बाद ट्रेनिंग भी पूरी कर ली है और अब उसे थाने में पोस्टिंग दी जा रही है। 

बड़े भाई ने किया वादा
मां का यही कहना है कि क्या बेटियां भी थानेदार बन सकती हैं? मां का यह मानना है कि पुलिस में महिला कॉन्स्टेबल स्तर पर ही रहती हैं। लक्ष्मी गणवीर का कहना है कि वह दलित समाज से आती हैं और बाड़मेर जिले की पहली दलित सब इंस्पेक्टर हैं। लक्ष्मी के सब इंस्पेक्टर बनने की जो यात्रा है वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। पांचवी तक गांव के नजदीक स्कूल में पढ़ी,  उसके बाद कुछ साल पढ़ाई इसलिए छोड़ दी क्योंकि उससे बड़ा स्कूल गांव में नहीं था। बाद में बड़े भाई ने मोटिवेट किया और स्कूल लाने ले जाने की जिम्मेदारी ली।  तब जाकर दसवीं तक गांव से कई किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में पढ़ाई की।

दो बार छोड़ी पढ़ाई
दसवीं के बाद वह पढ़ाई वहीं खत्म हो गई।  भाई ने फिर मोटिवेट किया और बहन को 12वीं की परीक्षा प्राइवेट तौर पर दिलाई।  2011 में लक्ष्मी ने प्राइवेट परीक्षा पास की और 2012 में उसे कांस्टेबल की जॉब मिली। सरकारी भर्ती परीक्षाओं के लिए वह लगातार तैयारी करती रही 2012 में कांस्टेबल बनने के बाद अब लक्ष्मी का सपना सब इंस्पेक्टर बनने का था। वह लगातार डटी रही, जूझती रही और अपने लक्ष्य को पकड़े रखा आखिर सब इंस्पेक्टर परीक्षा पास की और अब थानेदार बन चुकी है। 

अब लक्ष्मी का कहना है कि अगर सरकार इंस्पेक्टर भर्ती निकालती है तो अगला लक्ष्य वही है । लक्ष्मी के बारे में जानने के लिए बाड़मेर जिले में रहने वाले लोग लगातार उसके परिवार के पास आ रहे हैं। लक्ष्मी की मां धापू देवी का कहना है कि लालटेन की रोशनी में पढ़ने वाली बेटी पढ़ते-पढ़ते पूरे जिले का नाम रोशन कर देगी, कभी सपने में भी नहीं सोचा था।  लक्ष्मी के बड़े भाई मुकेश का कहना है कि बेटी ने समाज का और जिले का नाम रोशन किया है वह आगे भी ऐसा करती रहेगी हमें उस पर गर्व है। सब इंस्पेक्टर बनने वाली लक्ष्मी के गांव में आज भी लाइट का उचित इंतजाम नहीं है।

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