झोपड़ी में रहकर लड़के ने जीता दिल, ऐसी सफलता पाई की हर कोई कर रहा सैल्यूट...भारत-पाक सीमा पर है उसका गांव

Published : Sep 11, 2022, 11:19 AM ISTUpdated : Sep 11, 2022, 12:29 PM IST
 झोपड़ी में रहकर लड़के ने जीता दिल, ऐसी सफलता पाई की हर कोई कर रहा सैल्यूट...भारत-पाक सीमा पर है उसका गांव

सार

बाड़मेर के भारत-पाक बॉर्डर पर एक छोटे से गांव बीजासर में रहने वाले एक गरीब परिवार के लड़के ने  नीट 2022 की रिजल्ट में 24521 वीं रैंक हासिल की है। पढ़ाई के लिए उसने जो संघर्ष किया वह काबिले तारीफ है।   

बाड़मेर (राजस्थान). हाल ही में जारी हुए नीट 2022 की रिजल्ट राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले फताराम ने 24521 वीं रैंक हासिल की है। भले ही फता राम का नंबर मेरिट लिस्ट में कई हजार स्टूडेंट्स के बाद में हो। लेकिन संघर्ष की कहानी में वह सबके आगे हैं। 19 साल का फता राम अपने परिवार के साथ झोपड़ी में रहता है।  एक पक्का कमरा बनाया है लेकिन वह भी अभी अधूरा है, उसका काम पूरा कराने तक के लिए रुपया नहीं है। 

माता-पिता ने कर्ज लेकर बेटे को पढ़ाया...
बाड़मेर के भारत-पाक बॉर्डर पर एक छोटे से गांव बीजासर में रहने वाले इस परिवार के लिए नेट का रिजल्ट एक खुशी का लम्हा बनकर आया है। अब तक परिवार में खुशी का माहौल है। सबसे खास बात तो यह है कि इस लड़के के माता-पिता ने फताराम को कर्ज लेकर पढ़ाया है। 

परिवार में पहला ही सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा
फताराम ने बताया कि उनके परिवार में वह पहले ही ऐसे सकते हैं जिन्होंने इतनी ज्यादा पढ़ाई की है। परिवार के अन्य सभी लोग खेती कर और मजदूरी कर अपना घर चलाते हैं। फताराम ने कहा कि पढ़ लिखकर में भले ही आइएएस, आईपीएस भी बन जाता। लेकिन मेरे विकलांग पिता ने मुझे डॉक्टर बनने के लिए प्रेरणा दी। क्योंकि  करीब 15 साल पहले जब मेरे पिता ऊंट गाड़ी से गिर गए थे, तब डॉक्टर ने ही उनकी जान बचाई थी। ऐसे में अब मैं भी डॉक्टर बनकर ही लोगों की सेवा करना चाहता हूं।

10वीं में 90% नंबर आए तो परिवार ने उसी दिन ठान लिया कि मुझे अच्छा पढ़ाना-लिखाना है....
स्टूडेंट ने बताया कि गांव में एक संस्था भी है । स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल बनाया हुआ है। संस्था की एक बिल्डिंग में गांव का कोई भी स्टूडेंट 5 घंटे तक पढ़ाई कर सकता है । यहां स्टूडेंट को सोशल मीडिया और मोबाइल से भी दूर रखा जाता है। फताराम ने कहा कि जब मेरे 10वीं क्लास में 90% से ज्यादा मार्च से तो परिवार वालों ने उसी दिन ठान लिया कि मुझे अच्छा पढ़ाना - लिखाना है। इसके लिए ही घर वालों ने लोन लिया था।

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