राजस्थान के पाली जिले से कामयाबी का एक अनोखा ही मामला सामने आया है। जहां एक युवा को रात में पानी में डूबने के सपने आते थे। उसे लगता था कि उसकी मौत पानी में डूबने से हो जाएगी। लेकिन अब वही युवक ने अपनी कम को ताकत बनाया और स्विमिंग सीखना शुरू किया। अब वही युवक इसी गेम में गोल्ड जीतकर आया है।
पाली (राजस्थान). अमूमन हम हमेशा देखते हैं कि रात को हमें सोते समय अजीबोगरीब सपने आते हैं। किसी को कोई भूत प्रेत तो किसी को कोई अन्य सपना आता है। लेकिन राजस्थान के पाली जिले के रहने वाले एक युवक को रात को पानी में डूबने के सपने आते थे। अपने मन में डर बचाने के बजाय इसी युवक ने उसी को अपनी ताकत बनाया और स्विमिंग सीखना शुरू किया। नतीजा यह निकला कि अब वही युवक इसी गेम में गोल्ड जीतकर आया है। जिसके बाद उसका जगह-जगह स्वागत सत्कार किया जा रहा है।
गोल्ड के बाद भरत ने देख रखा है दूसरा सपना
हम बात कर रहे हैं राजस्थान के पाली जिले के भरत पंवार की। बचपन से ही उन्हें सपनों में पानी में डूबने के कई सपने आते थे। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने स्विमिंग करना सीखा और कई कंपटीशन में हिस्सा लेना शुरू किया। नतीजा यह हुआ कि स्टेट लेवल के अलावा भारत ने नेशनल चैंपियनशिप में भी हिस्सा लेना शुरू किया। हाल ही में पैरा कमेटी ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित हुई राष्ट्रीय स्विमिंग चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल हासिल किया है। अब भरत पवार फ्यूचर में गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा जमाना चाहते हैं।
बचपन में समुद्र में डूबने के आते थे खतरनाक सपने
भरत ने एशिया न्यूज से खास बातचीत में बताया कि बचपन में वह सोते थे तो उन्हें हमेशा बेहद अजीब सपने आते थे। तभी वह पानी के तालाब में डूबते तो कभी उन्हें ऐसा लगता है कि समुद्र में वहां समा गए हो। लेकिन उसी दिन से भरत को पता चल गया था कि अब कुछ भी हो उन्हें अपनी इस कमजोरी को ही ताकत बनाना है। भरत ने रोज इसकी प्रैक्टिस करना शुरू की। भले ही पैर से विकलांग हो लेकिन वह सप्ताह में 2 दिन जोधपुर जाते थे। जहां विशेषज्ञों की निगरानी में वह प्रैक्टिस भी करते थे। इसके अलावा उन्होंने पाली के जिला क्लब और स्थानीय जनप्रतिनिधि विजय राज भाटी के फार्म हाउस में भी स्विमिंग की थी।
भरत ने बताया जीवन में कोई भी कैसे हो सकता है कामयाब
भरत का मानना है कि चाहे भगवान ने हमें कैसा ही बनाया हो। लेकिन जीवन में हर एक मुकाम हासिल करना हमारी खुद की जिम्मेदारी होती है। मैंने भी बिल्कुल वैसा ही किया जिसकी बदौलत आज मैं इस कदम पर पहुंच पाया हूं।