जानें क्यों तालिबान से हो रही कन्हैयालाल के मर्डर की तुलना, गला काटने से कुचलने तक, देते हैं ये क्रूर सजाएं

उदयपुर में टेलरिंग का काम करने वाले कन्हैयालाल साहू की हत्या के बाद से पूरे शहर में तनाव है। इस निर्मम हत्या की तुलना तालिबानी आतंकियों के बर्बर तरीके से की जा रही है। हत्या करने वाले दोनों आतंकियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 29, 2022 6:20 AM IST

Udaipur Murder: राजस्थान के उदयपुर में टेलरिंग का काम करने वाले कन्हैयालाल साहू की बर्बर तरीके से की गई हत्या के बाद से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। मंगलवार दोपहर कन्हैयालाल की दुकान में घुसे दो आतंकियों मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने धारदार हथियारों से कन्हैयालाल का गला काट दिया था। इन आतंकियों ने तालिबानी अंदाज में कन्हैयालाल को मौत की सजा दी। आखिर क्या है तालिबान और क्यों उदयपुर में हुई निर्मम हत्या की तुलना तालिबानी आतंकियों से की जा रही है?

क्या है तालिबान?
तालिबान एक पश्तो शब्‍द है, जिसका अर्थ है छात्र। ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरवाद से पूरी तरह प्रेरित हों। ये इतने कट्टर होते हैं कि किसी का गला काटने में भी नहीं हिचकिचाते। कहा जाता है कि कट्टर सुन्नी इस्लामिक विद्वानों ने धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से पाकिस्तान में इसकी नींव रखी। तालिबानी देवबंदी विचारधारा को मानते हैं। 

क्रूर सजा देने के सजा कुख्यात हैं तालिबानी :  
तालिबान एक आतंकी संगठन है। तालिबानी आतंकवादी (Terrorist) दूसरों को तकलीफ देने में सुकून महसूस करते हैं। इस समय अफगानिस्तान पूरी तरह से तालिबानियों के कब्जे में है। तालिबानी अपनी बात न मानने वाले को क्रूर सजा देने के लिए कुख्यात हैं। 

जानें क्या हैं तालिबानी सजा के क्रूर तरीके?
तालिबानी आतंकी भी आईएसआईएस (ISIS) आतंकियों की तरह ही क्रूरता के लिए बदनाम हैं। तालिबानी सजाओं में पत्थर से कुचलने, हाथ-पैर काट देना, सरेआम फांसी पर लटकाना और पत्थर मार-मारके जान लेने जैसे क्रूर तरीके शामिल हैं। ये इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक सजा देने में यकीन रखते हैं। 

औरतों के लिए क्या कहता है तालिबानी कानून?
- तालिबानी कानून के मुताबिक, औरतें घर से बाहर अकेले नहीं निकल सकती हैं। बाजार या फिर कहीं भी जाते समय उनके साथ घर का कोई आदमी जरूर होना चाहिए। 
- तालिबानी शरिया कानून में औरतों को 12 साल से ज्यादा उम्र के लड़कों और परिवार के बाहर के आदमियों से मिलने की इजाजत नहीं होती है।
- तालिबानी कानून के मुताबिक, लड़कियां उस स्कूल या कॉलेज में नहीं पढ़ सकतीं, जहां पुरुष पढ़ते हों।   
- इसके अलावा औरतों के लिए म्यूजिक हराम है। तालिबान ऐसी औरतों को सख्त सजाएं देने के लिए जाना जाता है, जो नाच-गाने में इंटरेस्ट रखती हैं। इसके साथ ही औरतों की तस्वीरें अखबार या किसी किताब में छापने पर भी बैन है। 
- तालिबान शासन में महिलाओं के श्रृंगार करने की इजाजत नहीं है। 8 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों को परिवार के किसी पुरुष सदस्य के साथ बाहर निकलने की इजाजत है, लेकिन बुर्का पहनना कम्पलसरी है। 
- इसके साथ ही बाहर किसी शख्स से बात करते समय उनका बुर्के में होना बेहद जरूरी है। महिलाएं हाई हील नहीं पहन सकतीं। 

अगर नियम तोड़े तो ये सजाएं : 
तालिबानी आतंकी कानून तोड़ने वाली महिलाओं को सख्त सजा देने के लिए जाने जाते हैं। इसमें सार्वजनिक तौर पर प्रताड़ित करने के अलावा कोड़े से मारना और भीड़ के बीच पत्थर मार-मार के मौत देने जैसी बर्बर सजाएं शामिल हैं। 

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