धनतेरस पर12 करोड़ का सोना लूटने वाले गिरफ्तार, वारदात की कहानी एकदम फिल्मी-पुलिसवालों के भी उड़ गए होश

राजस्थान के उदयपुर जिले में बदमाशों ने एकदम फिल्मी स्टाइल में गोल्ड ऑफिस में लूट को अंजाम दिया। जहां उन्होंने 25 तोला सोना और लाखों रुपए की डकैती डाल दी। कुल मिलाकर 12 करोड़ की लूट की। आरोपी इतने शातिर थे कि चोरी के लिए नई बाइक और मकान किराए पर लिया था।

उदयपुर (राजस्थान). करीब डेढ़ महीने पहले उदयपुर में गोल्ड लोन के ऑफिस में हुई करीब 25 तोला सोना और लाखों रुपए के कैश की लूट के मामले में उदयपुर पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हालांकि पुलिस को इनके पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है। क्योंकि इन्हें तो चोरी का माल केवल एक या दो परसेंट ही दिया गया था। जबकि गैंग का मास्टरमाइंड गुड्डू 23 किलो सोना लेकर अपने तीन साथियों के फरार अब तक फरार है। वह अभी कहां है। यह तक उसके साथियों को नहीं पता। पुलिस ने मामले में प्रिंस और फांटोस को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार दोनों आरोपी और गैंग के सभी लोग बिहार के ही रहने वाले हैं। दिन की मुलाकात भी पटना सेंट्रल जेल में ही हुई थी। कोई भी आरोपी एक दूसरे को असली नाम से नहीं जानता है। 

लूट के मास्टरमाइंड का कुछ पता नहीं
पुलिस ने दोनों आरोपियों को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के निंबाहेड़ा से गिरफ्तार किया है। जहां से दोनों उज्जैन की तरफ जाने वाले थे। दरअसल बिहार एसटीएफ लगातार आरोपियों को ट्रेस कर रही थी। जिसके जरिए ही उनके राजस्थान आने की जानकारी उदयपुर पुलिस को मिली थी। पुलिस ने दोनों आरोपियों के पास से देसी पिस्टल और दो जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। मास्टरमाइंड गुड्डू ने वादा किया था कि सभी आरोपियों में 50-50 लाख रुपए बाटेंगे लेकिन मास्टरमाइंड गुड्डू का कुछ पता नही है। वही तब तक की कुर्ता के सामने आए हैं कि 6 अगस्त को विजय जी ने ओडिशा के एक शहर में इसी तरह वारदात करने की कोशिश की। लेकिन वहां सायरन बज गया और इन आरोपियों को भागना पड़ा।

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डकैती के लिए किराए से लिया था मकान
पुलिस पूछताछ में सामने आया है कि वारदात में काम आने वाली मोटरसाइकिल आरोपियों ने कोटा से खरीदी थी। लूट करने के बाद आरोपी मध्य प्रदेश की सीमा के रास्ते राजस्थान से बाहर निकले। लूट से पहले इन्होंने उदयपुर के डबोक इलाके में एक मकान किराए पर लिया। यह आरोपी स्टूडेंट बनकर रह रहे थे। पुलिस से बचने के लिए और चकमा देने के लिए इन्होंने सिम कार्ड और आइडेंटी कार्ड भी पश्चिम बंगाल का ही बनाया था।

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