फौलादी सीने पर उगा लिया 25 किलो वजन का ज्वार, अनोखे भक्त की भक्ती देखने उमड़ती है भीड़

राजस्थान में माता की भक्ति करने के लिए एक भक्त ने अपने सीने पर ही 25 किलो वजन के ज्वारे उगा लिए। 9 दिन तक बिना खाए पिए साधना करते है, फिर भी वैसे ही सेहतमंद है। परिवार वाले बोले मां कि शक्ति का प्रभाव तो वहीं डॉक्टर्स के लिए भी चैलेंज बना हुआ है माता का ये अनोका भक्त।

Sanjay Chaturvedi | Published : Oct 4, 2022 6:44 AM IST / Updated: Oct 04 2022, 01:13 PM IST

उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर शहर को आप झीलों की नगरी के बारे में ही जानते होंगे, लेकिन इस जिले में माता का ऐसा भक्त रहता है जिसकी जैसी भक्ति करने के लिए फौलाद का कलेजा चाहिए, अगर आप साहसी नहीं है तो आप नहीं कर सकते। आपके हमारे जैसे लाखों करोड़ों लोग तो इस बारे में सोच तक नहीं सकते। नौ दिनों तक बिना कुछ खाए पीए सीने पर 25 किलो वजन रखकर सिर्फ एक ही हालत में लेटे रहना और फिर भी पूरी तरह से स्वस्थ रहना, माता का ये भक्त इसलिए डॉक्टर्स के लिए भी चैलेंज बना हुआ है। आईए आपको मिलाते हैं उदयपुर के माता के इस भक्त से.......

माता मंदिर के पुजारी हैं केशूलाल, 5 साल के लिए लिया संकल्प
दरअसल उदयपुर जिले के झाड़ोल उपखंड के ओगणा कस्बे के पास ही अजयपुरा गांव है। वही पर माताजी का मंदिर है जिसे धारा माता के मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के पुजारी हैं केशूलाल, जिन्होनें पांच साल तक इसी तरह से माता की भक्ति करने का प्रण लिया है। इस बार चौथा साल है। उनकी तपस्या देखने के लिए जिले भर के हजारों लोग उनके पास आते हैं। केशूलाल ने माता से मुराद मागी है। इसी मुराद के लिए उन्होनें पांच साल तक सीने पर ज्वार उगाने का प्रण लिया।

डॉक्टर के लिए चैलेंज ही है इनका इस हाल में भी स्वस्थ रहना
पहले साल समस्या रही लेकिन उसके बाद वे निपुण हो गए। परिवार परेशान था कि ये सब कैसे होगा, लेकिन नौ दिनों तक माता का नाम लिया और सब कुछ हो गया। नौ दिन तक मल मूत्र का त्याग भी पूरी तरह से बंद रहता है। केशूलाल के जानकार लोगों का कहना है कि नौ दिन यह पूरे 18 दिन की साधना है। नौ दिन पहले ही केशूलाल अन्न और जल लेना बंद कर देते हैं। उसके बाद इसी तरह से साधना करते हैं। एक सांचे में ज्वार उगाए जाते हैं और उनमें जरूरत होने पर पानी दिया जाता है। नौ दिन पूर्णाहुति होने पर उनको पूरी तरह से रिकवर होने में नौ से दस दिन का समय लगता है। लेकिन चिकित्सकों के लिए यह चैलेंज है कि वे किसी तरह से भी अस्वस्थ नहीं है। यह माता का चमत्कार ही है।

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