सार

देशभर में आज दुर्गा अष्टमी का त्यौहार पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह दिन पूजा के लिहाज से खास रहता है तो भक्तगण मंदिर जाकर पूजा करते है। पर राजस्थान में माता का एक मंदिर ऐसा है जहां 20 साल पहले चोरी हुई मूर्ति आज भी थाने में जब्त है,जो अब तक वापस मंदिर नहीं लाई जा सकी। 

सीकर (sikar).देश भर में आज दुर्गा अष्टमी का पर्व पूरे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इससे पहले लोगों ने 7 दिन तक मां दुर्गा की विशेष अर्चना पूजा भी की। लेकिन इसी बीच राजस्थान में माता का एक मंदिर ऐसा भी है जहां 20 साल से भी ज्यादा समय से माता की मूर्ति ही नहीं लगी हुई है। दरअसल यहां माता की मूर्ति आज से 20 साल पहले चोरी हो चुकी थी। जो बरामद तो कर ली गई लेकिन पुलिस के मालखाने में ही रखी हुई है। ऐसे में यहां माता की मूर्ति के बिना ही पूजा होती है। फिलहाल मंदिर में माता की दूसरी मूर्ति स्थापित करवाई गई है। लेकिन असली मूर्ति की जगह भगवान गणेश की मूर्ति रखी हुई है। जो मूर्ति को चोरी करने वाले चोर ने ही रखी।

राजराजेश्वरी मंदिर की माता हो गई थी चोरी
हम बात कर रहे हैं सीकर के रावराजा कल्याण सिंह के गढ़ में बने राजराजेश्वरी मंदिर की। राज परिवार के दौलत सिंह ने इस मंदिर की स्थापना आज के करीब 350 साल पहले करवाई थी। लेकिन राजपाट समाप्त हो जाने के बाद राजपरिवार ने यह मंदिर सीकर के ही एक पुजारी को दे दिया। अब से करीब 20 साल पहले होली के दिन इस मंदिर में रखी माता की अष्टधातु की मूर्ति को एक चोर ने चुरा लिया। जो माता की मूर्ति की जगह गणेश भगवान की मूर्ति को रख गया। ऐसे में मंदिर पुजारी ने भी गणेश की मूर्ति को नहीं हटाया। और इसके अलावा उसने माता की दूसरी मूर्ति मंदिर में स्थापित करवा दी। तब से भगवान गणेश और माता की दूसरी मूर्ति की ही पूजा होती है। 

चोरी होने के 2 साल बाद मिली तो, पर कोर्ट ने नहीं दी परमिशन
हालांकि चोरी होने के करीब 2 साल बाद यह मूर्ति पुलिस ने चोरी का माल खरीदने वाले एक व्यापारी से बरामद कर ली। लेकिन इसके बाद मूर्ति को जयपुर के शास्त्री नगर थाने में रखवा दिया गया। तब से यह मूर्ति वही रखी हुई है। मंदिर पुजारी ने बताया कि उन्होंने मूर्ति को वापस लाने के लिए कई प्रयास किए लेकिन फिर भी मूर्ति को वापस नहीं लाया जा सका है। मामला फिलहाल कोर्ट में चल रहा है। 

युद्ध जीतने के बाद, पड़ा राजराजेश्वरी माता
मंदिर पुजारी के मुताबिक पहले यह मंदिर साधारण हुआ करता था। उस समय राजा और रानी दोनों मंदिर में अलग-अलग रास्तों से दर्शन करने के लिए आते थे,  लेकिन एक बार हुआ यूं कि सीकर के राजा दौलत सिंह की लड़ाई फतेहपुर के राजा शिव सिंह से हो गई। ऐसे में राजा दौलत सिंह ने युद्ध करने से पहले माता की पूजा अर्चना की। महज कुछ घंटों की लड़ाई में ही राजा दौलत सिंह विजयी हो गए। इसके बाद राजा दौलत सिंह ने इस मंदिर का नाम राजराजेश्वरी ही रख दिया। क्योंकि मंदिर में दर्शन मात्र करने से ही राजा युद्ध जीत गया।

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