त्योहार में टेंशन: गुर्जर आंदोलन के चलते कई ट्रेनें रद्द, बसों के पहिये थमे

राजस्थान में आरक्षण की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। त्योहारी सीजन में ट्रेनें रद्द होने या उनका मार्ग बदले जाने के अलावा बसों के न चलने से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। मंगलवार को भी यही स्थिति है। सरकार से बातचीत बेनतीजा रहने से आंदोलन लंबा खिंचने की आशंका है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 3, 2020 4:05 AM IST / Updated: Nov 03 2020, 11:50 AM IST

जयपुर, राजस्थान. अपने लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग सहित अन्य मुद्दों को लेकर हो रहे गुर्जरों के आंदोलन ने त्योहारी सीजन में लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ी हैं। कइयों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जा रहा है। वहीं, बसों के पहिये थमे हुए हैं। बता दें कि सरकार ने समझौते की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। आंदोलनकारी भरतपुर सहित कई जगहों पर दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर बैठे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बातचीत हर समस्या का हल है। इस बीच आंदोलन के तीसरे दिन महिलाओं ने भी मोर्चा संभाल लिया है। वे आंदोलनकारियों के लिए रजाई-गद्दे और चाय-नाश्ता-खाना लेकर आ रही हैं। वहीं, गुर्जर समाज के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। कहा जा रहा है कि वे अपने बेटे विजय को आगे करना चाहते हैं।

यह है हाल..
रेलवे ने अप ट्रेनों-नंदा देवी, गोल्डन टेंपल, भागलपुर गांधीधाम, नई दिल्ली-त्रिवेंद्रम, पश्चिम एक्सप्रेस, गुजरात संपर्क क्रांति, नई दिल्ली-मुंबई सेंट्रल, अगस्त क्रांति और मेवाड़ एक्सप्रेस के रूट बदल दिए हैं। डाउन ट्रेनों-गुजरात संपर्क क्रांति, मुंबई सेंट्रल-हजरत निजामुद्दीन, मडगांव-नई दिल्ली, अजीमाबाद एक्सप्रेस, गोल्डन टेंपल, अवध एक्सप्रेस, कोटा- देहरादून एक्सप्रेस के रूटों में भी बदलाव किया गया है। वहीं, राजस्थान रोडवेज ने 50 से अधिक बसों को रोक दिया है। 30 से ज्यादा ट्रेनों के रूट डायवर्ट हैं। 4 ट्रेनें रद्द करनी पड़ी हैं। इनमें जनशताब्दी मंगलवार को भी रद्द है। यूपी से जयपुर के लिए निकलीं बसों को भरतपुर में रोक दिया गया है।

सरकार से बातचीत नहीं जमी..
इससे पहले आंदोलनकारियों से बातचीत करने खेल मंत्री अशोक चांदना को रविवार को बैंसला से बात के लिए भेजा गया था। लेकिन बात नहीं बनी। मंत्री ने कहा कि कर्नल बैंसला ने बात करने से मना कर दिया। उन्होंने अपने बेटे विजय से बात करने को कहा। उनसे मोबाइल पर कुछ मिनट बात हुई। बता दें कि आंदोलनकारी भर्तियों में पूरा 5 प्रतिशत आरक्षण देने,आरक्षण आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजन को सरकारी नौकरी और मुआवजा देने, आरक्षण विधेयक को नवीं अनुसूची में डालने, MBC कोटे से भर्ती 1252 कर्मचारियों को रेगुलर पे-स्केल देने और देवनारायण योजना में विकास योजनाओं के लिए बजट दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

शनिवार को भी आंदोलनकारियों के एक गुट और सरकार के बीच बातचीत हुई थी। इसमें दोनों पक्षों में 14 बिंदुओं पर सहमति बनी थी। इसमें कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला शामिल नहीं हुए थे। ऐसा लग रहा था कि इसके बाद आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बता दें कि 2007 में इस आंदोलन के हिंसक होने पर 26 लोग, जबकि 2008 में 37 लोगों की मौत हो गई थी। 

यहां सबसे ज्यादा खतरा
राजस्थान में करौली, भरतपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, धौलपुर जिलों के अलावा भीलवाड़ा का आसींद और सीकर का नीम का थाना तथा झुंझुनूं के खेतड़ी इलाके गुर्जर बाहुल्य हैं। यहां आंदोलनकारी दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक और सड़क बैठे हैं। गुर्जर बाहुल्य 4 जिलों दौसा, करौली, सवाई माधोपुर और भरतपुर में अगले आदेश तक इंटरनेट बंद कर दिया गया है। किसी भी स्थिति से निपटने अलग-अलग फोर्स की 19 कंपनियां अलग-अलग जिलों में भेजी गई हैं। 

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