वो फीफा वर्ल्ड कप के ट्यूनीशिया और डेनमार्क मैच के लिए एंकरिंग कर रही थी। पैनल के साथ वो फुटबॉल की बारिकियों को समझा रही थी। अचानक उसकी आवाज बंद हो गई और उसे ऑफ एयर करना पड़ा। नादिया नदीम जो तमाम मुश्किलों को पार कर इस मुकाम पर पहुंची थी,उनकी जिंदगी में इस मैच के दौरान एक तूफान आया। चलिए बताते हैं बीच मैच उन्हें क्यों करना पड़ा ऑफ एयर।
रिलेशनशिप डेस्क. फीफा वर्ल्ड कप (fifa world cup 2022) में ट्यूनीशिया और डेनमार्क का मैच 0-0 से ड्रा हो गया। मंगलवार को आईटीवी पैनल में नादिया नदीम (Nadia nadim) हिस्सा थीं। वो मैच की बारिकियों के बारे में बात कर रही थी। अचानक उनके पास उनकी मां से जुड़ी एक खबर पहुंचती हैं और वो दर्द से भर जाती हैं। उन्हें तुरंत ऑफ एयर कर दिया जाता है। जिसके बाद पैनल में 3 लोग दिखाई देते हैं। तमाम मुश्किलों को पार करके इस मुकाम तक पहुंची डेनमार्क की फीमेल फुटबॉल प्लेयर नादिया नदीम की जिंदगी में मौजूद सबसे खास इंसान चला गया।
मां की एक्सीडेंट में हुई मौत
मंगलवार को कतर में जब आईटीवी पैनल में मैच को लेकर चर्चा कर रही थी तब खबर आई कि उनकी मां का एक्सीडेंट हो गया है। एक ट्रक ने उन्हें धक्का मार दिया है। नादिया बताती हैं कि सुबह में जब उनकी मां जिम से घर जा रही थी तब एक ट्रक ने टक्कर मार दी। जिसमें उनकी मौत हो गई। फुटबॉल पंडित नादिया कहती हैं कि मैंने अपने जीवन में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति को खो दिया है और यह बहुत अचानक और अप्रत्याशित हुआ। वह केवल 57 वर्ष की थी।वह एक योद्धा थी जिसने अपने जीवन के हर इंच के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने मुझे एक बार नहीं बल्कि दो बार जीवन दिया और आज जो मैं हूं उन्हीं की वजह से हूं।
तालिबानियों के हाथों पिता की गई जान
वो आगे कहती है कि मैंने अपना घर खो दिया।उनका अंतिम संस्कार जल्द ही हो गया... कृपया आएं और उन्हें वह प्यार, सम्मान और प्रार्थना दिखाएं जिसकी वह हकदार हैं। बता दें कि नादिया का बचपन संघर्ष से भरा रहा। अफगानिस्तान में पैदा हुई नादिया तालिबानी के हाथों दर्द की शिकार हूं। पिता जो आर्मी जनरल थे को तालिबानियों ने मार दिया। जिसके बाद वो साल 2000 में जब 11 साल की थी तब डेनमार्क भागकर आ गईं। मां और 4 बहनों के साथ वो डेनमार्क में बस गई। पढ़ाई के साथ-साथ उनकी रुची फुटबॉल में थी। वो फुटबॉल को करियर बना लिया। वो डेनमार्क की स्टार फुटबॉलर बन गई।
तालिबान से अपने भागने के बारे में बोलते हुए नादिया ने बताया कि युद्ध से पहले मुझे देश की, हमारे जीनव की, सुरक्षित वातावरण की बहुत अच्छी यादें हैं। मेरे पास मेरी मां और पिताजी थे। लेकिन युद्ध के बाद मेरे पिता जी मेरे साथ नहीं रहें।वे यादें अच्छी यादें नहीं हैं, बहुत सारी अराजकता हैं, बहुत सारी डरावनी बातें हैं।
तमाम मुश्किलों को पार कर बनाया अपना मुकाम
फॉरवर्ड ने 2009 में देश के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और 99 खेलों में 38 गोल किए। वो अब अमेरिकी फीमेल रेसिंग लुइसविले के लिए भी खेलती हैं। वो डॉक्टर भी हैं और स्ट्राइकर के रूप में फुटबॉल को गोल पोस्ट तक पहुंचाने का काम करती हैं। वो पीएसजी और मैन सिटी के लिए भी खेल चुकी हैं।
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