भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाई-बहन की जोड़ी भी उतरे। अंग्रेजों के खिलाफ हल्ला बोलने की वजह से कई बार जेल भी गए। आजाद भारत में दोनों को अहम जिम्मेदारी भी मिली। चलिए बताते हैं वो उनके बारे में।
रिलेशनशिप डेस्क. आजादी की लड़ाई में जिस भाई-बहन की अहम भूमिका थी वो थे पंडित जवाहर लाल नेहरू (pandit jawaharlal nehru) और विजयलक्ष्मी पंडित (vijaya lakshmi pandit)। अपना सुख त्याग कर दोनों आजादी की लड़ाई में उतरे और अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था। वहीं उनकी बहन विजया लक्ष्मी पंडित 18 अगस्त 1900 में हुआ था। यानी नेहरू जी से विजयलक्ष्मी पंडित 11 साल छोटी थीं।
पंडित नेहरू अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में 9 बार जेल गए थे। वहीं विजयलक्ष्मी पंडित भी कई बार आजादी की लड़ाई में जेल गईं। पंडित नेहरू जहां देश के पहले प्रधानमंत्री बने और लाल किला पर झंडा फहराया। वहीं उनकी बहन को भी अहम जिम्मेदारी दी गई। वो देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनीं। इसके साथ ही 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला बनी। इसके अलावा भी उनके नाम कई उपलब्धि दर्ज हैं। विजयलक्ष्मी पंडित सोवियत संघ में भारत की पहली राजदूत भी बनीं। इसके बाद वो अमेरिका की राजदूत बनीं।
विजयलक्ष्मी पंडित की शादी रणजीत सीताराम पंडित से हुई
विजयलक्ष्मी पंडित ने 1921 में उन्होंने काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील रणजीत सीताराम पंडित से शादी की। आजादी की लड़ाई में रणजीत सीताराम भी विजयलक्ष्मी के साथ थे। कहा जाता है कि रणजीत सिंह को अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया था।जहां उनका निधन हो गया।
इंदिरा गांधी को बुआ से थी नाराजगी
आजादी के बाद विजयलक्ष्मी पंडित महिलाओं के अधिकार दिलाने के लिए खूब लड़ाई लड़ीं। उनकी कोशिस का नतीजा रहा कि महिलाओं को पति और पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी बनाया गया। इसके अलावा उनकी वजह से ही देश में पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई। कहा जाता है कि इमरजेंसी का विजयलक्ष्मी ने विरोध किया था। जिसकी वजह से उनकी भतीजी इंदिरा गांधी नाराज थी। 7 दिसंबर 1990 नेहरू जी की बहन ने अंतिम सांस लीं।
महात्मा गांधी के साथ हर आंदोलन में उतरे थे पंडित नेहरू
वहीं,जवाहरलाल नेहरू आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़े। असहयोग आंदोलन ,नमक सत्याग्रह तक, भारत छोड़ो आंदोलन हर बार वो गांधी जी के साथ नजर आएं। 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ लखनऊ में हुए प्रदर्शन में नेहरू घायल भी हुए थे। वो 9 बार जेल गए। नेहरू जी के हाथ में आजाद देश की कमान सौंपी गई। वो लाल किला पर तिरंगा फहराने वाले पहले शख्स थे। उन्हें 11 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित भी किया गया। 27 मई 1964 को नेहरू जी इस दुनिया को अलविदा कह गए। नेहरू जी और विजयलक्ष्मी पंडित एक दूसरे को काफी मानते थे।
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