18 या 19 नवंबर, कब है अंगारक चतुर्थी? जानें सही डेट, विधि-मंत्र और मुहूर्त

Angarak Chaturthi 2024 Kab Hai: चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान श्रीगणेश हैं। जब चतुर्थी तिथि किसी मंगलवार को होती है तो इसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। इस बार नवंबर 2024 में ऐसा संयोग बन रहा है।

 

Angarak Chaturthi November 2024 Details: धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने लिए व्रत-पूजा की जाती है। जब किसी महीने की चतुर्थी तिथि का संयोग मंगलवार को होता है तो इसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। ये चतुर्थी भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ मंगलदेव की पूजा के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इस बार नवंबर 2024 में अंगारक चतुर्थी का संयोग बन रहा है। आगे जानिए नवंबर 2024 में कब है अंगारक चतुर्थी…

नवंबर 2024 में कब है अंगारक चतुर्थी?

पंचांग के अनुसार, अगहन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवंबर, सोमवार की शाम 07:56 से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 19 नवंबर, मंगलवार की शाम 06:28 तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 19 नवंबर, मंगलवार को होगा, इसलिए इसी दिन चतुर्थी का व्रत किया जाएगा और इस दिन मंगलवार होने से ये अंगारक चतुर्थी कहलाएगी।

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अंगारक चतुर्थी नवंबर 2024 शुभ मुहूर्त

- सुबह 09:29 से 10:51 तक
- सुबह 10:51 से दोपहर 12:12 तक
- दोपहर 12:12 से 01:33 तक
- दोपहर 02:54 से 04:15 तक

इस विधि से करें अंगारक चतुर्थी व्रत-पूजा (Angarak Chaturthi Puja Vidhi)

- 19 नवंबर, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें यानी कुछ भी खाएं नहीं। किस की बुराई न करें न मन में कोई बुरे विचार लाएं।
- शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की तैयार कर लें। सबसे पहले पूजन स्थान को गंगाजल या गोमूत्र छिड़ककर पवित्र करें।
- शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर लकड़ी का पटिया रखकर इसके ऊपर भगवान श्रीगणेश का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान को कुमकुम से तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं। गाय के शुद्ध घी का दीपक भी जलाएं।
- दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी, फल, फूल आदि चीजें एक-एक करके भगवान श्रीगणेश को चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप भी करते रहें करें। लड्डू का भोग लगाएं और आरती करें।
- जब चंद्रमा उदय हो जाए तो उसे भी जल से अर्ध्य दें और फूल, चावल चढ़ाकर पूजा करें। इसके बाद भोजन करें।

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


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Disclaimer  
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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