Dhanteras 2023 Aarti: धनतेरस पर करें देवी लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की आरती, जीवन का हर सुख मिलेगा

Dhanteras 2023 Aarti: धनतेरस पर देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इन तीनों देवी-देवताओं की कृपा से ही हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। धनतेरस पर इनकी आरती जरूर करनी चाहिए।

 

Manish Meharele | Published : Nov 10, 2023 3:58 AM IST / Updated: Nov 10 2023, 09:29 AM IST

Dhanteras 2023 Par Kiski Puja Kare: इस बार धनतेरस 10 नवंबर, शुक्रवार को है। इस दिन देवी लक्ष्मी, कुबेरदेव और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। कुबेर की पूजा से धन, धन्वंतरि की पूजा से अच्छी सेहत और देवी लक्ष्मी की पूजा से सुख-शांति और समृद्धि आती है। धनतेरस पर इन तीनों की आरती करने से जीवन का हर सुख मिल सकता है। आगे जानिए इन तीनों देवी-देवताओं की आरती…

मां लक्ष्मी की आरती (Devi Lakshami Ki Aarti)
ऊं जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसिदिन सेवत हर विष्णु-धाता।। ऊं।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। ऊं...।।
दुर्गारूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ऊं...।।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधिकी त्राता।। ऊं...।।
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता।। ऊं...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता।। ऊं...।।
शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता।। ऊं...।।
महालक्ष्मी(जी) की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।। ऊं...।।

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भगवान कुबेर की आरती (Aarti of Lord Kuber)
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे ।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे ।
॥ ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं ॥
॥ ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे...॥

भगवान धन्वंतरि की आरती (Aarti of Lord Dhanvantari)
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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