सार
Diwali 2023 Shubh Muhurat: हर साल कार्तिक अमावस्या पर दिवाली पर्व मनाया जाता है। इस बार 2 दिन अमावस्या तिथि होने से लोगों के मन में दिवाली डेट को लेकर कन्फ्यूजन है। हालांकि ज्योतिषी इस बात को लेकर एकमत हैं। जानें इस बार दीपावली की सही डेट?
Diwali 2023 Puja Vidhi-Shubh Muhurat: धर्म ग्रंथों के अनुसार, आज 12 नवंबर, रविवार को कार्तिक मास की अमावस्या पर दिवाली मनाई जा रही है। इस पर्व से जुड़ी कईं मान्यताएं व परंपराएं इसे और भी खास बना देती हैं। इस बार दिवाली पर एक नहीं कईं शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए दिवाली की पूजा विधि, मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…
कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे दिवाली पर? (Diwali 2023 Shubh Yog)
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस बार दीपावली पर 5 राज योग एक साथ बनेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। 12 नवंबर, रविवार को गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के दुर्लभ योग एक साथ बन रहें हैं। इन सभी में से गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा दिवाली पर आयुष्मान और सौभाग्य योग का निर्माण भी होगा।
दिवाली 2023 पूजा के शुभ मुहूर्त (Diwali 2023 Shubh Muhurat Detail)
- दुकान-ऑफिस के लिए- दोपहर 02:44 से 02:47
- फैक्ट्री-कारखाने के लिए - शाम 05:29 से रात 10:26 तक
- घर के लिए- शाम 05:39 से 07:35 तक
- निशिथ काल पूजा मुहूर्त- रात 11:39 से 12:32 तक
(इस मुहूर्त में घर, दुकान, ऑफिस कहीं ही पूजा की जा सकती है।
- स्थिर लग्न पूजा मुहूर्त- रात 12:10 से 02:27 तक
(ये मुहूर्त भी लक्ष्मी पूजा के लिए श्रेष्ठ है)
दिवाली पूजा विधि 2023 (Diwali 2023 Puja Vidhi)
- ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में घर के किसी हिस्से को गंगाजल छिड़ककपर पवित्र करें और वहां चौकी यानी लकड़ी का पटिया रखें। इसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं और देवी लक्ष्मी, श्रीगणेश सहित देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
- देवी लक्ष्मी की मूर्ति के पास नए बर्तन में कुछ रुपए भी जरूर रखें। चौकी पर पानी से भरा एक कलश रखें। इस पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। मुख पर मौली बांधकर इसके ऊपर नारियल रख दें। ये मंत्र बोलकर पूजन सामग्री पर पानी छिड़कें-
ऊं अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।।
- इसके बाद हाथ में जल और चावल लेकर पूजा का संकल्प लें। सबसे पहले भगवान श्रीगणेश और देवी सरस्वती की तिलक लगाकर पूजा करें। इसके बाद श्रीमहालक्ष्मी को तिलक लगाएं और शुद्ध घी का दीपक व धूप बत्ती आदि जलाएं। अपनी इच्छा अनुसार 11 या 21 दीपक अलग से लगाएं।
- सभी देव प्रतिमाओं पर अबीर, गुलाल, हल्दी, चंदन, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। फूलों की माला पहनाएं। इत्र छिड़कें और बिना सुपारी और चूने वाला पान भी चढ़ाएं। इसी विधि से धन के देवता कुबेर की भी पूजा करें। अंत में अपनी इच्छा अनुसार फल और मिठाई आदि का भोग लगाएं और आरती करें।
ऐसे करें मां लक्ष्मी की आरती (Devi Lakshami Ki Aarti)
ऊं जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसिदिन सेवत हर विष्णु-धाता।। ऊं।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। ऊं...।।
दुर्गारूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ऊं...।।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधिकी त्राता।। ऊं...।।
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता।। ऊं...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता।। ऊं...।।
शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता।। ऊं...।।
महालक्ष्मी(जी) की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।। ऊं...।।
- आरती के बाद हाथ में कमल का फूल लेकर महालक्ष्मी पर चढ़ा दें। अपने स्थान पर खड़े होकर प्रदक्षिणा कर प्रणाम करें। हाथ में जल लेकर ये मंत्र बोलकर इसे धरती पर छोड़े दें-
ऊं अनेन यथाशक्त्यर्चनेन श्रीमहालक्ष्मी: प्रसीदतु।
- इसके बाद चावल लेकर श्रीगणेश व महालक्ष्मी की प्रतिमा को छोड़कर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित एवं पूजित देवताओं पर चावल छोड़ते हुए निम्न मंत्र से विसर्जित करें-
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।
इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनरागमनाय च।।
- इस प्रकार दीपावली पर पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।