Ganesh Chaturthi 2023: भाद्रपद मास में 10 दिवसीय गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान घर-घर में और सार्वजनिक रूप से गणेशजी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है। जानें इस बार गणेश चतुर्थी कौन से दिन है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2023) कहते हैं। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीगणेश की उत्पत्ति हुई थी। इस दिन घर-घर में और सार्वजनिक पांडालों में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। इस बार चतुर्थी तिथि 2 दिन होने से इस पर्व को लेकर लोगों के मन में कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है। उज्जैन (Ujjain) के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा (Astrologer Pt. Nalin Sharma) से जानें इस बार गणेश चतुर्थी कौन से दिन है, शुभ मुहूर्त आदि की जानकारी भी…
गणेश चतुर्थी कौन से दिन है (Ganesh Sthapna 2023 Date)
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर, सोमवार की दोपहर 12.40 से शुरू होगी, जो 19 सितंबर की दोपहर 01. 45 तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का सूर्योदय 19 सितंबर, मंगलवार को होगा, इसलिए इसी दिन गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा और गणेश प्रतिमा स्थापना की जाएगी।
कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे? (Ganesh Chaturthi 2023 Shubh Yog)
ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा के अनुसार,19 सितंबर को स्वाति और विशाखा नक्षत्र दिन भर रहेंगे। मंगलवार को पहले स्वाति नक्षत्र होने से ध्वजा और इसके बाद विशाखा नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। साथ ही इस दिन शश, गजकेसरी, अमला और पराक्रम नाम के राजयोग मिलकर चतुर्महायोग बना रहे हैं, जो एक दुर्लभ संयोग है।
घर के लिए गणेश स्थापना के मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2023 Shubh Muhurat)
19 सितंबर सुबह 09.30 से 11 बजे तक
19 सितंबर सुबह 11.25 से दोपहर 2 बजे तक
दुकान, ऑफिस और फैक्ट्री के मुहूर्त
19 सितंबर सुबह 10 बजे से 11.25 तक
19 सितंबर दोपहर 12 बजे से 1.20 तक
इस विधि से करें गणेश प्रतिमा की स्थापना व पूजा (Ganesh Chaturthi 2023 Puja Vidhi)
- 19 सितंबर, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में जिस स्थान पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करनी है,
उसे गंगा जल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
- गणेश चतुर्थी पर मिट्टी से बनी प्रतिमा की स्थापना का ही महत्व है। लेकिन आप अपनी इच्छा अनुसार, धातु की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं। पूजन में उपयोग आने वाली सामग्री पहले से लाकर रख लें।
- ऊपर बताए गए किसी एक शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा एक बाजोट यानी पटिए पर स्थापित करें। इसके बाद ऊं गं गणपतये नम: मंत्र बोलकर शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- श्रीगणेश के पास ही पटिए पर साफ जल से भरा एक कलश भी स्थापित करें। इसके ऊपर स्वस्तिक बनाएं और नारियल रखें। कलश के मुख पर मौली यानी पूजा का धागा भी जरूर बांधें।
- इसके बाद भगवान श्रीगणेश को तिलक लगाएं। अब एक-एक करके पूजन सामग्री जैसे अबीर, गुलाल, कुंकुम, हल्दी, रोली, सिंदूर आदि चढ़ाते रहें। इसके बाद इत्र, पान, इलाइची, लौंग आदि चीजें भी चढ़ाएं।
- भगवान श्रीगणेश को दूर्वा विशेष रूप से प्रिय है। हल्दी लगी हुई दूर्वा चढ़ाने से श्रीगणेश और भी जल्दी प्रसन्न होते हैं। पूजा के दौरान दूर्वा चढ़ाते समय ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप भी करते रहें।
- सबसे अंत में अपनी इच्छा अनुसार श्रीगणेश को भोग लगाएं और कर्पूर आरती करें। इस तरह पूजा करने से भगवान श्रीगणेश अति प्रसन्न होते हैं। स्थापना के बाद 10 दिनों तक प्रतिदिन श्रीगणेश की पूजा करें।
भगवान श्रीगणेश की आरती (Ganesh Chaturthi Aarti)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
एक दन्त दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
अन्धन को आंख देत कोढिऩ को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
हार चढ़े फुल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डूवन का भोग लगे संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
दीनन की लाज रखो, शंभू पुत्र वारी।
मनोरथ को पूरा करो, जय बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।।
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