Akhurath Sankashti Chaturthi Vrat Katha: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 30 दिसंबर को, रावण से जुड़ी है इस व्रत की कथा

Kab Hai Akhurath Sankashti Chaturthi 2023: पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस दिन भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत-पूजा की जाती है। इस व्रत की कथा राक्षसों के राजा रावण से जुड़ी है।

 

Manish Meharele | Published : Dec 29, 2023 11:00 AM IST / Updated: Dec 30 2023, 08:25 AM IST

Akhurath Sankashti Chaturthi 2023 Date: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसी क्रम में पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस बार अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 दिसंबर, शनिवार को किया जाएगा। इस व्रत की कथा राक्षसों से राजा रावण से जुड़ी हैं। बिना कथा सुने इस व्रत का संपूर्ण फल नहीं मिलता। आगे जानिए क्या है इस व्रत की कथा…

ये है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा (Akhurath Sankashti Chaturthi 2023 Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षसों का राजा रावण ने जब सभी देवताओं को जीत लिया तो इसी अभिमान में वह वानरों के राजा बालि से युद्ध करने जा पहुंचा बालि ने रावण को अपनी बगल में दबाया और काफी देर तक इधर-उधर घुमाया और अंत में ले जाकर अपने पुत्र अंगद के हवाले कर दिया।
अंगद रावण को खिलौना समझकर काफी समय तक उसके साथ खेलते रहे। रावण ने देखा कि एक छोटा बालक उन्हें बालक समझकर खेल रहा तो उनका अभिमान टूट गया और उन्होंने अपने दादा पुलस्त्य मुनि को याद किया।
पुलस्त्य मुनि रावण के पास आए और उसकी ये दशा देखकर बोले ‘अभिमान के कारण ही आज तुम्हारी ये दशा हुई है।’ रावण ने उनसे इस स्थिति से निकलने का समाधान पूछा।
महर्षि पुलस्त्य ने रावण से कहा कि ‘तुम पौष मास में आने वाले अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत करो, इससे भगवान श्रीगणेश प्रसन्न होंगे। प्राचीन समय में वृत्रासुर की हत्या से छुटकारा पाने के लिए इन्द्रदेव ने भी ये व्रत किया था। इस व्रत से तुम इस संकट से निकट पाने में सक्षम रहोगे।’
महर्षि पुलस्त्य के कहने अनुसार रावण ने अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत विधि-विधान से किया। इस व्रत के प्रभाव से बालि ने रावण को अपना मित्र बनाकर उसे बंधन से आजाद कर दिया। इस तरह जो पूरी श्रृद्धा से अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत करता है, वह बड़ी से बड़ी मुश्किल से भी निकल जाता है।

 

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