सार

Akhuratha Chaturthi 2023 Kab Hai: पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस बार ये व्रत दिसंबर 2023 के अंत में किया जाएगा।

Akhuratha Sankashti Chaturthi 2023 Puja Vidhi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान श्रीगणेश हैं, इसलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। पौष मास की चतुर्थी का नाम नाम अखुरथ संकष्टी चतुर्थी है। इस बार ये चतुर्थी दिसंबर 2023 के अंत में आ रही है। इसकी डेट को लेकर लोगों के मन में कन्फ्यूजन है कि अखुरथ चतुर्थी का व्रत करें, 30 या 31 दिसंबर को? आगे जानिए अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की सही डेट, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि डिटेल…

कब करें अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत? (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2023 Date)
पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 30 दिसंबर, शनिवार की सुबह 09:44 से 31 दिसंबर, रविवार की सुबह 11:56 तक रहेगी। चतुर्थी व्रत में शाम को चंद्रमा की पूजा की जाती है। ये स्थिति 30 दिसंबर को बन रही है। इसलिए अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत इसी दिन किया जाएगा। इस दिन चंद्रोदय शाम 08.36 पर होगा।

इस विधि से करें अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत
- 30 दिसंबर, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर सात्विक नियमों का पालन करें। एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- शाम को चंद्रोदय से पहले घर में किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सबसे पहले हार पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद देव प्रतिमा पर कुंकुम से तिलक लगाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, चावल, फूल, रोली आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं।
- इसके बाद भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान से आरती करें। जब चंद्रमा उदय हो जाए तो पानी से अर्घ्य देकर इसकी भी पूजा करें। संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
- इस तरह जो भी व्यक्ति विधि-विधान से अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

गणेशजी की आरती (Ganesh ji Ki Aarti)
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥


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