kab hai Amalaki Ekadashi 2024: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। इस बार इस एकादशी का व्रत मार्च 2024 में किया जाएगा। होली से पहले आने के कारण इसे रंगभरी ग्यारस भी कहते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। इस बार ये तिथि 20 मार्च, बुधवार को है। इसलिए आमलकी एकादशी का व्रत इसी दिन किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि जो व्यक्ति आमलकी आमलकी एकादशी का व्रत करता है, उसे इससे जुड़ी कथा भी जरूर सुननी चाहिए, तभी इस व्रत का पूरा फल मिलता है। आगे पढ़िए आमलकी एकादशी की कथा…
ये है आमलकी एकादशी की कथा
- प्राचीन समय में एक शहर में चैत्ररथ नामक का राजा था। उसके राज्य में सभी भगवान विष्णु के भक्त थे। एक बार आमलकी एकादशी पर जब सभी नगरवाली रात्रि जागरण कर रहे थे, तभी वहां एक शिकारी आया। जागरण में उसे भी मजा आने लगा। वहीं पर उसने एकादशी का महात्म्य और कथा भी सुनी।
- रात भर कथा सुनने और जागरण करने के बाद अगली सुबह वह शिकारी अपने घर चला गया। संयोग से कुछ दिनों बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। शिकारी होने के कारण उसने अनेक पाप किए थे, इन पापों के कारण ही उसे नरक में रहते हुए अनेक यम यातनाएं सहनी पड़ी, जिससे वह बहुत दुखी हुआ।
- चूंकि उसने आमलकी एकादशी व्रत की कथा सुनी थी और जागरण भी किया था, जिसके फलस्वरूप उसने अगले जन्म में राजा विदूरथ के घर जन्म लिया। इस जन्म में उसका नाम वसुरथ रखा गया। एक बार वसुरथ जंगल में भटक गया, तभी उस पर कुछ डाकुओं ने हमला कर दिया।
- तभी अचानक उसकी नींद खुली तो उसने देखा कि डाकू जमीन पर मरे पड़े हैं। तभी आकाशवाणी हुई कि ‘तुमने पिछले जन्म में आमलकी एकादशी की व्रत कथा सुनी था, उसी के फलस्वरूप भगवान विष्णु ने तुम्हारी रक्षा की है।’ इस प्रकार जो आमलकी एकादशी की कथा सुनता है, उसके सभी कष्ट भगवान विष्णु हर लेते हैं।
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