सार
Shattila Ekadashi 2025 Date: माघ मास के कृष्ण पक्ष में एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इस दिन तिल का उपयोग 6 कामों में किया जाता है, इसलिए इसे षटतिला कहते हैं।
Kab Hai Shattila Ekadashi 2025: धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक महीने में 2 एकादशी होती है। इस तरह एक साल में 24 एकादशी का संयोग बनता है। इनमें से माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत में जो व्यक्ति जितने रूपों में तिल का उपयोग तथा दान करता है उसे उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग मिलता है। आगे जानिए कब है षटतिला एकादशी, पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…
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कब है षटतिला एकादशी? (Shattila Ekadashi 2025 Kab Hai)
पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 24 जनवरी, शुक्रवार की शाम 07 बजकर 25 मिनिट से शुरू होगी जो 25 जनवरी, शनिवार की रात 08 बजकर 32 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 25 जनवरी को होगा, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन ध्रुव नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा।
षटतिला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Shattila Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)
- सुबह 08:34 से 09:56 तक
- दोपहर 12:17 से 01:00 तक
- दोपहर 12:39 से 02:00 तक
- दोपहर 03:22 से शाम 04:43 तक
इस विधि से करें षट्तिला एकादशी का व्रत (Shattila Ekadashi 2025 Puja Vidhi)
- 25 जनवरी, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें।
- शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें। मुहूर्त शुरू होने पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र एक बाजोट यानी पटिए पर स्थापित करें।
- भगवान को तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक लगाएं। अबीर, रोली, कुमकुम, आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु को उड़द-तिल से बनी खिचड़ी का भोग लगाएं। इसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें। भगवान की पूजा कर इस मंत्र से अर्घ्य दें-
सुब्रह्मण्य नमस्तेस्तु महापुरुषपूर्वज।
गृहाणाध्र्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते।।
- पूजा के बाद आरती करें। रात को भजन करें। अगले दिन यानी 26 जनवरी को ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वंय भोजन करें।
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