- 17 अप्रैल, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- घर में किसी स्थान पर गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें। यहां एक पटिया यानी बाजोट स्थापित कर इसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं।
- बाजोट पर भगवान श्रीराम का चित्र स्थापित करें। श्रीराम का चित्र इस तरह रखें कि इसका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे।
- भगवान श्रीराम के चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। चित्र पर फूल माला अर्पित करें और कुमकुम से तिलक भी लगाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, रोली, कलावा, चावल, चंदन, फूल, नारियल, पान आदि चीजें एक-एक करके श्रद्धा पूर्वक चढ़ाते रहें।
- पूजा के बाद नीचे लिखे मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे
रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः
- मंत्र जाप के बाद भगवान श्रीराम को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें। संभव हो तो इस दिन उपवास रखें।
- राम नवमी पर जो इस विधि से से भगवान श्रीराम की पूजा करता है, उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही उसकी हर कामना भी पूरी होती है।