Saphala Ekadashi 2024: 7 जनवरी को करें सफला एकादशी व्रत, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और पारणा का समय

Saphala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही पवित्र माना गया है। हर महीने में 2 एकादशी आती है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी होती है। इन सभी का नाम और महत्व अलग-अलग है।

 

Manish Meharele | Published : Jan 4, 2024 5:22 AM IST / Updated: Jan 07 2024, 07:09 AM IST

Saphala Ekadashi 2024 Date: हिंदू पंचांग के दसवें महीने को पौष कहते हैं। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, सफला एकादशी भी इनमें से एक है। ये एकादशी का व्रत पौष मास के कृष्ण पक्ष किया जाता है। इस एकादशी का महत्व कई ग्रंथों में बताया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आगे जानिए इस बार कब है सफला एकादशी, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि…

कब है सफला एकादशी 2024? (Saphala Ekadashi 2024 kab hai)
पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 06 जनवरी, शनिवार की रात 12:42 से 07 जनवरी, रविवार की रात 12:46 तक रहेगा। 7 जनवरी को पूरे दिन एकादशी तिथि होने से सफला एकादशी व्रत इसी दिन किया जाएगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग दिन भर रहेगा, जिससे ये व्रत और भी खास हो जाएगा। व्रत का पारणा अगले दिन यानी 8 जनवरी, सोमवार को किया जाएगा।

सफला एकादशी के शुभ मुहूर्त (Saphala Ekadashi 2024 Shubh Muhurat)
सुबह 08:33 से 09:53 तक
सुबह 09:53 से 11:13 तक
दोपहर 01:52 से 03:12 तक
शाम 05:51 से 07:32 तक

इस विधि से करें सफला एकादशी व्रत...( Saphala Ekadashi 2024 Puja Vidhi)
- 7 जनवरी, रविवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें।
- ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पहले माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद भगवान की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और फूल, फल, अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- पूजा करते समय ऊं नम: भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद प्रसाद चढ़ाएं और उसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें।
- पूजा के बाद अंत में आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें। पूरे दिन निराहार रहें। संभव न हो तो एक समय भोजन कर सकते हैं।
- रात्रि में जागरण करें और अगले दिन यानी द्वादशी तिथि (8 जनवरी, सोमवार) को ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।
- इस प्रकार सफला एकादशी का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत का महत्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।


 

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