Kab Hai Utpanna Ekadashi 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार, एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विष्णु है। एक साल में कुल 24 एकादशी होती है। इन सभी का महत्व और नाम अलग-अलग है। उत्पन्ना एकादशी भी इनमें से एक है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों में कुल 24 एकादशी तिथियों के बारे में बताया गया है, इन्हीं में से एक है उत्पन्ना एकादशी। ये एकादशी अगहन मास के कृष्ण पक्ष में आती है। मान्यता है कि इसी दिन एकादशी तिथि प्रकट यानी उत्पन्न हुई थी, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। कहते हैं कि इस एकादशी भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो हजारों कन्यादान और लाखों गौदान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। आगे जानिए इस बार कब है उत्पन्ना एकादशी, इसके शुभ मुहूर्त, पूजा विधि सहित पूरी डिटेल…
कब है उत्पन्ना एकादशी? (Utpanna Ekadashi 2023 Date)
पंचांग के अनुसार, अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 8 दिसंबर, शुक्रवार की सुबह 05:06 से 09 दिसंबर, शनिवार की सुबह 06:31 तक रहेगी। चूंकि 8 दिसंबर को एकादशी तिथि सूर्योदय के समय रहेगी, इसलिए ये व्रत इसी दिन किया जाएगा। इस दिन सौभाग्य, शोभन और अमृत नाम के 3 शुभ योग भी रहेंगे।
उत्पन्ना एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Utpanna Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
सुबह 08:19 से 09:39
सुबह 11:57 से दोपहर 12:39 (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:18 से 01:38 तक
शाम 04:17 से 05:37 तक
इस विधि से करें व्रत और पूजा (Utpanna Ekadashi Puja Vidhi)
- उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम एक दिन पहले से ही शुरू हो जाते हैं। इसलिए 7 दिसंबर, गुरुवार की रात सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- 8 दिसंबर, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। जैसा व्रत आप करना चाहें, उसी के अनुसार संकल्प लेना चाहिए।
- ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र किसी साफ स्थआन पर स्थापित करें। तिलक लगाएं व हार-फूल चढ़ाएं।
- चित्र के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद अबीर, रोली, चंदन, हल्दी आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। अंत में भोग लगाएं।
- इस तरह पूजा करने के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से आरती करें। बाद में प्रसाद सभी लोगों को बांट दें। पूजा के दौरान भगवान का ही ध्यान करें।
- संभव हो तो रात में सोए नहीं, भजन-कीर्तन करते हुए रात्रि जागरण करें। इस प्रकार उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से सभी कष्ट दूर हो सकते हैं।।
भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
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