Mahashivratri 2023: शिव पूजा में की गई गलतियां बढ़ा सकती हैं आपका दुर्भाग्य, हमेशा ध्यान रखें ये 5 बातें

Published : Feb 08, 2023, 08:19 AM IST

Mahashivratri 2023: इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन देश के सभी शिव मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है। हर शिव मंदिर में विशेष सजावट व पूजा की जाती है। शिव पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। 

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शिव पूजा में रखें इन बातों का ध्यान...

धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 18 फरवरी, शनिवार को है। इस दिन हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके से भगवान शिव की भक्ति में डूबा रहता है। (Shiv Puja Ke Niyam) कोई उपवास करता है तो कोई घंटों लाइन में खड़े रहकर मंदिर में दर्शन करते जाता है। धर्म ग्रंथों में शिवजी की पूजा से जुड़ी कुछ खास बातें बताई गई हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर हम आपको शिव पूजा के इन नियमों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
 

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इन बातों का रखें खास ध्यान

धर्म ग्रंथों के अनुसार, शिवजी की पूजा करते समय हमारा मुंह पूर्व दिशा को ओर होना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शिवलिंग की कभी पूरी परिक्रमा नहीं करना चाहिए क्योंकि जलाधारी को कभी लांघा नहीं जाता। ऐसा करना महापाप माना गया है।

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कटे-फटे फूल व पत्ते न चढ़ाएं

शिवजी की पूजा में कभी भी कटे-फटे या मुरझाए हुए फूल-पत्ते नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा ताजे फूलों से ही शिवजी की पूजा करनी चाहिए। बिल्व पत्र का उपयोग कई बार कर सकते हैं यानी एक बार चढ़ाया गया बिल्व पत्र धोकर दोबार शिवजी को अर्पित किया जा सकता है।
 

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ये चीजें भूलकर भी न चढ़ाएं

शिवजी की पूजा में स्त्रियोचित चीजें जैसे हल्दी, मेहंदी, कुमकुम आदि भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके बाद केतकी केतकी, कुंद, शिरीष और कपित्थ के फूल चढ़ाना भी शिव पूजा में वर्जित है। केतकी के फूल न चढ़ाने का कारण शिवपुराण में बताया गया है। 
 

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शंख से जलाभिषेक न करें

शिवजी का अभिषेक शंख से भूलकर भी नहीं करना चाहिए। धर्म ग्रंथों में ऐसा करने की मनाही है। शिवपुराण में इस मान्यता से जुड़ी एक कथा भी बताई गई है। शंख से शिवलिंग का अभिषेक करना अशुभ माना गया है। ऐसा करने वाले को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
 

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निर्माल्य का अपमान न करें

शिवजी की पूजा में जिन चीजों का उपयोग किया जाता है जैसे फूल, पत्ती आदि। पूजा के बाद उसे ससम्मान नदी या किसी तालाब में प्रवाहित कर दें। इसे शिव निर्माल्य कहा जाता है। शिवजी को चढ़ाने के बाद ये चीजें भी पूजनीय हो जाती हैं, इसलिए भूलकर भी इनका अपमान न करें।


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