Rajim Maghi Punni Mela 2023: 7वीं सदी के इस मंदिर में आराम करने आते हैं भगवान विष्णु, देते हैं 3 रूपों में दर्शन

Rajim Maghi Punni Mela 2023: इन दिनों छत्तीसगढ़ के राजिम में पुन्नी मेला चल रहा है। ये मेला महाशिवरात्रि तक रहेगा। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है क्योंकि यहां तीन नदियों का संगम होता है- महानदी, पैरी और सोंढुर। 

 

उज्जैन. हमारे देश में भगवान विष्णु के अनेक प्राचीन मंदिर हैं, इन्हीं में से एक है छत्तीसगढ़ के राजिम में स्थिति राजीव लोचन मंदिर (Rajeev Lochan Temple, Rajim)। कहते हैं जो व्यक्ति इस मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के दर्शन कर लेता है, उसे चारों धाम के दर्शन का शुभ फल प्राप्त हो जाता है। इस मंदिर से कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। माघी पूर्णिमा से महाशिवरात्रि (mahashivratri 2023) तक चलने वाले पुन्नी मेले (Rajim Maghi Punni Mela 2023) के दौरान यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

तीन रूपों में दर्शन देते हैं भगवान विष्णु
राजीव लोचन मंदिर राजिम के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। भगवान राजीव लोचन यहां सुबह बालपन अवस्था में, दोपहर में युवक अवस्था में और रात में वृद्ध के रूप में दिखाई देते हैं। कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण सातवीं सदी में हुआ था। इस मंदिर में 12 स्तंभ हैं, जिन पर अष्ठभुजा दुर्गा, गंगा, यमुना और भगवान विष्णु के अवतार राम और नृसिंह भगवान के चित्र हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जब तक इस मंदिर के दर्शन न कर लिए जाएं, तब तक जगन्नाथपुरी की यात्रा पूरी नहीं होती।

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यहां दिए थे भगवान ने राजा रत्नाकर को दर्शन
इस मंदिर से और भी कई मान्यताएं जुड़ी हैं। किसी समय इस स्थान पर राजा रत्नाकर का राज थे, वे बड़े विष्णु भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन स्वयं भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए थे, इसके बाद राजा ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया। पहले इस क्षेत्र को हरिहर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर चतुर्थाकार में बनाया गया है। काले पत्थर से बनी भगवान विष्णु की चतुर्भुजी मूर्ति काफी आकर्षक है, उनके हाथों में शंक, चक्र, गदा और पदम यानी कमल है।

यहां मिलते हैं भगवान के आने के प्रमाण
इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि यहां भगवान विष्णु रात्रि विश्राम के लिए जाते हैं। इसके मान्यता के पीछे कई कारण बताए जाते हैं। मंदिर के पुजारियों और भक्तों ने इस बात को अनुभव किया है। उनके अनुसार जो भोग भगवान को लगाया जाता है, कई बार ऐसा लगता है कि भगवान ने वो भोग ग्रहण किया है, कई बार दाल-चावल पर हाथ के निशान मिलते हैं। भगवान के विश्राम के लिए जो बिस्तर तैयार किया जाता है, वह भी कई बार अस्त-व्यस्त मिलता है।

कैसे पहुंचें?

वायु मार्ग- रायपुर (45 किमी) निकटतम हवाई अड्डा है और दिल्ली, विशाखापट्टनम एवं चेन्नई से जुड़ा है।

रेल मार्ग- रायपुर निकटतम रेलवे स्टेशन है और यह हावड़ा मुंबई रेलमार्ग पर स्थित है।

सड़क मार्ग- राजिम नियमित बस और टैक्सी सेवा से रायपुर तथा महासमुंद से जुड़ा हुआ है।



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