Ram Navami 2023: राम नवमी पर कितनी देर रहेगा पूजा का शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजा? जानें सब कुछ

Ram Navami 2023 Kab Hai: इस बार राम नवमी का पर्व 30 मार्च, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी रहेंगे। इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा विशेष रूप से की जाती है। देश के प्रमुख राम मंदिरों में विशेष आयोजन भी किए जाते हैं।

 

Manish Meharele | Published : Mar 14, 2023 8:30 AM IST / Updated: Mar 29 2023, 10:03 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने अयोध्या में राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम के रूप में जन्म लिया था। तभी से इस तिथि पर श्रीराम नवमी (Ram Navami 2023 Kab Hai) का पर्व मनाया जा रहा है। इस बार ये तिथि 30 मार्च, गुरुवार को है। इस दिन पूरे देश में ये पर्व बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस बार राम नवमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते ये पर्व और भी खास हो गया है। आगे जानिए श्रीराम नवमी पर कैसे करें भगवान श्रीराम की पूजा, शुभ मुहूर्त और आरती…

श्रीराम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Ram Navami 2023 Puja Muhurat)
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 29 मार्च की रात 09.07 से 30 मार्च की रात 11.30 तक रहेगी। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म दोपहर 12 बजे के लगभग हुआ था। इसलिए श्रीराम नवमी की पूजा दोपहर के समय ही विशेष रूप से की जाती है। इस बार श्रीराम नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 30 मार्च, गुरुवार की सुबह 11:11 से दोपहर 01:40 तक रहेगा। इसकी अवधि 02 घंटे 29 मिनट तक रहेगी।

इस विधि से करें भगवान श्रीराम की पूजा (Ram Navami 2023 Puja Vidhi)
- 30 मार्च, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल और चावल लेकर पूजा का संकल्प लें। व्रत करना चाहें तो उसका भी संकल्प लें।
- घर की उत्तर दिशा में एक पूजा स्थल तय करें और उसे गंगाजल को धोकर पवित्र करें। पहले यहां स्वस्तिक बनाएं और इसके ऊपर बाजोट (पटिया) रखें।
- इस बाजोट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीराम व माता सीता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सबसे पहले तिलक लगाकर हार-फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं। एक-एक करके पूजन सामग्री अबीर, गुलाल, रोली, चावल, आदि चीजें चढ़ाते रहें। देव प्रतिमाओं पर इत्र भी लगाएं।
- अपनी इच्छा अनुसार भगवान को मिठाई व फलों का भोग लगाएं। इसके बाद ये मंत्र बोलें-
मंगलार्थ महीपाल नीराजनमिदं हरे।
संगृहाण जगन्नाथ रामचंद्र नमोस्तु ते।।
ऊँ परिकरसहिताय श्रीसीतारामचंद्राय कर्पूरारार्तिक्यं समर्पयामि।
- इस प्रकार पूजा करने के बाद किसी बर्तन में कपूर तथा घी की बत्ती (एक या पांच अथवा ग्यारह) जलाकर भगवान श्रीसीताराम की आरती करें।

ये हैं भगवान श्रीराम की आरती (Aarti of Lord Shriram)
आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।।
धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।
सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ।।
कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।।
शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।
नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं
भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।।
खेल खेल महु सिंधु बधाये । लोक सकल अनुपम यश छाये ।।
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।।
देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।।
कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।।
देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।।
आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।।
कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।।
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।।
धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।।
राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।।


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