
Kab Hai Sawan Ka Pahla Somwar: भगवान शिव की भक्ति का महीना सावन 11 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 9 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में आने वाले सभी सोमवार का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि सावन सोमवार को की गई शिव पूजा, उपाय, मंत्र जाप आदि का फल कई गुना होकर मिलता है। इस बार सावन में 4 सोमवार का संयोग बन रहा है। आगे जानिए कब है सावन का पहला सोमवार, पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…
सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को है। इस दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि भी रहेगी, इसलिए इसी दिन गणेश चतुर्थी का व्रत भी किया जाएगा। 14 जुलाई, सोमवार को आयुष्मान, सौभाग्य, शुभ और अमृत नाम के 4 शुभ योग रहेंगे, जिसके चलते इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।
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सुबह 05:53 से 07:33 तक
दोपहर 12:06 से 12:59 तक (अभिजीत मुहूर्त)
सुबह 09:13 से 10:53 तक
दोपहर 02:12 से 03:52 तक
शाम 07:31 से 07:11 तक
- सावन सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए किसी शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें और सामग्री एकत्रित करके रखे लें।
- शुभ मुहूर्त शुरू होने पर सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक शुद्ध जल से फिर गाय के दूध से और इसके बाद पुन: जल से करें। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक महादेव के सामने जलाएं।
- चंदन के तिलक लगाएं और फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, चावल, नारियल, जनेऊ, सफेद वस्त्र, फूल, बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- पूजा करते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप मन ही मन में करते रहें। इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार महादेव को फल, मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं और आरती भी करें।
- विधि-विधान से आरती करने के बाद प्रसाद सभी भक्तों को बांट दें और संभव हो तो शिव चालीसा या शिव स्तुति आदि का पाठ करें। ऐसा न कर पाएं तो कुछ देर भजन गाएं या सुनें।
- इस तरह जो भक्त सावन सोमवार को शिवजी की पूजा करता है, उसकी हर परेशानी दूर हो सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। प्रति सोमवार इसी विधि से पूजा करें।
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखत, त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी, कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु, चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता, जगसंहारकर्ता॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये, ये तीनों एका॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरती, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥
स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥
सावन सोमवार को यदि शिवजी के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। ये हैं शिवजी के 5 मंत्र-
1. ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
2. ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
3. ऊं नमो भगवते दक्षिणामूर्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
4. मृत्युञ्जयाय रुद्राय नीलकन्ताय शंभवे
अमृतेषाय सर्वाय महादेवाय ते नमः
5. ऊं नमः शिवाय:
1. शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से धन लाभ होता है।
2. गाय के घी से शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
3. शिवजी को तिल चढ़ाने से शनि से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है।
4. सावन के पहले सोमवार को गाय को हरा चारा खिलाएं।
5. बिल्व वृक्ष पर जल चढ़ाने और दीपक जलाने से भी शिवजी की कृपा मिलती है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।