
धर्म ग्रंथों में शिव पूजा के लिए अनेक विशेष तिथियां बताई गई हैं, ऐसी ही एक तिथि है त्रयोदशी। इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है और शाम को शिव का विशेष पूजन करते हैं। ये व्रत हिंदू महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी को किया जाता है। ये तिथि यदि सोमवार की पड़ती है तो इसे सोम प्रदोष (Sawan Som Pradosh 2023) कहते हैं। चूंकि सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है, इसलिए इस सोम प्रदोष का महत्व कई गुना अधिक माना गया है। इस बार सावन में ऐसा ही शुभ योग बन रहा है।
पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त, सोमवार की शाम 06:23 से 29 अगस्त, मंगलवार की दोपहर 02:48 तक रहेगी। चूंकि प्रदोष व्रत में शाम को शिवजी की पूजा का विधान है। इसलिए ये व्रत 28 अगस्त, सोमवार को किया जाएगा। इस दिन आयुष्मान और शोभन नाम के 2 शुभ योग भी रहेंगे।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और जब ये व्रत सोमवार को आता है तो ये और भी शुभ माना जाता है क्योंकि ये तिथि और वार दोनों ही भगवान शिव को प्रिय है। इस बार सोम प्रदोष का संयोग सावन मास में बन रहा है, जो शिवजी का प्रिय महीना भी है। सावन मास में सोम प्रदोष का दुर्लभ संयोग कई सालों में एक बार बनता है, जो इस बार 28 अगस्त को बन रहा है।
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम को की जाती है। शाम को प्रदोष काल भी कहा जाता है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत का नाम दिया गया है। 28 अगस्त, सोमवार को शिव पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06:48 से रात 09:02 तक रहेगा। पूजा मुहूर्त की कुल अवधि 02 घण्टे 14 मिनट की रहेगी।
- 28 अगस्त, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और शुद्ध मन से व्रत-पूजा का संकल्प लें। संकल्प के लिए हाथ में जल और चावल लें और जिस इच्छा से आप ये व्रत कर रहे वो बोलें।
- इस व्रत में दिन भर निराहार रहना होता है यदि ऐसा करना संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। दिन भर मन ही मन में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। कोई बुरा विचार मन में न लाएं।
- शाम को ऊपर बताए गए मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा शुरू करें। इसके लिए घर में किसी साफ स्थान पर भगवान शिवलिंग की स्थापना करें और पूजन सामग्री पहले से एकत्रित करके रख लें।
- पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं। शिवलिंग पर शुद्ध जल चढ़ाएं, दूध से अभिषेक करें और एक बार पुन: शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद बिल्व पत्र, धतूरा रोली, अबीर, चावल आदि चीजें चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं और अंत में आरती करें। इस तरह पूजा करने से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे स्वामी पंचांनन राजे
हंसानन गरुड़ासन हंसानन गरुड़ासन
वृषवाहन साजे ओम जय शिव ओंकारा
दो भुज चारु चतुर्भूज दश भुज ते सोहें स्वामी दश भुज ते सोहें
तीनों रूप निरखता तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहें ओम जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला मुंडमालाधारी स्वामी मुंडमालाधारी
त्रिपुरारी धनसाली चंदन मृदमग चंदा
करमालाधारी ओम जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगें स्वामी बाघाम्बर अंगें
सनकादिक ब्रह्मादिक ब्रह्मादिक सनकादिक
भूतादिक संगें ओम जय शिव ओंकारा
करम श्रेष्ठ कमड़ंलू चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता
जगकर्ता जगहर्ता जगकर्ता जगहर्ता
जगपालनकर्ता ओम जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामी जानत अविवेका
प्रणवाक्षर के मध्यत प्रणवाक्षर के मध्य
ये तीनों एका ओम जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावें स्वामी जो कोई जन गावें
कहत शिवानंद स्वामी कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावें ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।