Navratri 2023 Goddess Siddhidatri: नवरात्रि के अंतिम देवी सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। इनका ये नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इनकी पूजा से सभी कामों की सिद्धि प्राप्त होती है। इस बार इनकी पूजा 23 अक्टूबर, सोमवार को की जाएगी।
Navratri 2023 Devi Siddhidatri Puja Vidhi: 23 अक्टूबर, सोमवार को शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है। ये मां दुर्गा का नौवां और श्रेष्ठ स्वरूप है। इनकी पूजा से हर तरह की सिद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है। इसी दिन शारदीय नवरात्रि का समापन भी हो जाएगा। आगे जानिए देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और कथा…
ऐसा है देवी सिद्धिदात्री का स्वरूप (Navratri ke antim Din Kis Devi Ki Puja Kare)
पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि देवी सिद्धिदात्री का आसन कमल का फूल है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है। देवता, असुर, गंधर्व, किन्नर और मनुष्य सभी इनकी पूजा करते हैं।
इस विधि से करें देवी सिद्धिदात्री की पूजा (Devi siddhidatri Ki Puja Vidhi)
शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन यानी 23 अक्टूबर, सोमवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वयं शुद्ध हो जाएं और किसी साफ स्थान पर देवी सिद्धिदात्री का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले शुद्ध घी का दीपक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद एक-एक करके अबीर, गुलाल चावल, हल्दी, मेहंदी और सिंदूर आदि चीजें अर्पित करें। इस दिन माता को हलवा, पूड़ी व चने का भोग लगाएं। नीचे लिखा मंत्र बोलने के बाद आरती करें-
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
मां सिद्धिदात्री की आरती (Devi siddhidatri ki Aarti)
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम, हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में न कोई विधि है, तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो, तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे, कभी काम उस के रहे न अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया, रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली, जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा, महानंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता, वंदना है सवाली तू जिसकी दाता...
ये है देवी सिद्धिदात्री की कथा (Devi siddhidatri Ki Katha)
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवी दुर्गा का सिद्धिदात्री स्वरूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। ये देवी दुर्गा का सबसे श्रेष्ठ स्वरूप है। इनकी पूजा सभी देवता, गंधर्व, नाग, यज्ञ और मनुष्य आदि करते हैं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए।
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