Kab Hai Annapurna Jayanti 2024: धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा की कृपा से हमें अनाज, भोजन आदि चीजें मिलती हैं। इन्हें अन्न की देवी कहा जाता है। धर्म ग्रंथों में इनसे जुड़ी अनेक कथाएं मिलती हैं।
Devi Annapurna Ki Katha: देवी अन्नपूर्णा को अनाज की देवी माना जाता है। मान्यता के अनुसार, जिस घर में देवी अन्नपूर्णा का वास होता है, वहां कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। मां अन्नपूर्णा को देवी पार्वती का ही एक रूप माना जाता है। हर साल अगहन मास की पूर्णिमा पर पर देवी अन्नपूर्णा की जयंती मनाई जाती है। इस बार अगहन पूर्णिमा तिथि 2 दिन रहेगी। जिसके चलते अन्नपूर्णा जयंती कब मनाया जाएगा, इसे लेकर संशय बना हुआ है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानें अन्नपूर्णा जयंती की सही डेट, पूजा विधि, आरती सहित पूरी डिटेल…
पंचांग के अनुसार, अगहन मास की पूर्णिमा 14 दिसंबर, शनिवार की शाम 04:58 से शुरू होगी जो 15 दिसंबर, रविवार की दोपहर 02:31 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 15 दिसंबर, रविवार को होगा। इसलिए इसी दिन अन्नपूर्णा जयंती का पर्व मनाया जाएगा।
- सुबह 09:43 से 11:02 तक
- दोपहर 12:00 से 12:43 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 01:41 से 03:00 तक
- शाम 05:39 से 07:20 तक
- 15 दिसंबर, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल व चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- अन्नपूर्णा देवी का वास रसोई यानी किचन में माना जाता है, इसलिए सबसे पहले घर की रसोई की साफ-सफाई करें।
- चूल्हे पर कुमकुम से तिलक करें और फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। चूल्हे के पास ही धूप और शुद्ध घी का दीपक भी जलाएं।
- मन ही मन माता अन्नपूर्णा से प्रार्थना करें कि हमारे घर में कभी अन्न की कमी न हो। इसके बाद देवी अन्नपूर्णा की आरती करें।
- संभव हो तो जरूरतमंदों को अन्न जैसे- चावल, गेहूं या पका हुआ भोजन दान करें। इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
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