अगर हमारे विद्वानों ने अधिक मास की व्यवस्था न की होती तो हर साल चंद्र और सौर मास 10 दिनों का अंतर आता जाता। इसका नतीजा ये होता कि हमारे त्योहारों का महत्व ही समाप्त हो जाता। होली का त्योहार शीत ऋतु में तो दीपावली का त्योहार वर्षा ऋतु में मनाया जाता। इसके कारण लोगों के मन में त्योहारों को लेकर जो उत्साह रहता है वह भी खत्म हो जाता।
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