Mohini Ekadashi 2024: भगवान विष्णु का एक मात्र स्त्री अवतार है ‘मोहिनी’, बहुत रोचक है इससे जुड़ी कथा

Mohini Ekadashi 2024 Kab Hai: भगवान विष्णु ने अनेक अवतार लिए लेकिन इन सभी में से उनका एकमात्र स्त्री अवतार है मोहिनी। हर साल वैशाख मास में मोहनी एकादशी आती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने ये अवतार लिया था।

 

Mohini Ekadashi Katha: हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार ये एकादशी 19 मई, रविवार को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। मोहिनी अवतार से जुड़ी और भी कईं बातें पुराणों में मिलती है। आगे जानिए भगवान विष्णु ने क्यों लिया मोहिनी अवतार…

ये है मोहिनी अवतार की कथा (Baghvan Vishnu Ne Kyo Liya Mohini Avtar)
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब ऋषि दुर्वासा के श्राप से स्वर्ग श्रीहीन हो गया तो सभी देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि ‘यदि देवता और असुर मिलकर समुद्र मंथन करें तो उसमें से देवी लक्ष्मी पुन: प्रकट हो जाएंगी और साथ ही अमृत कलश सहित अन्य रत्न भी प्राप्त होंगे।
- ये बात जब देवराज इंद्र ने असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। जब समुद्र को मथा गया तो इसमें से सबसे पहले हलाहल विष निकला, जिसे महादेव ने गृहण कर लिया। इसके बाद देवी लक्ष्मी सहित अन्य कईं रत्न जैसे कल्पवृक्ष, कामधेनु, ऐरावत हाथी भी निकले।
- सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले, जिसे पाने के लिए देवता और असुरों में युद्ध होने लगा। ये युद्ध कईं सालों तक चलता रहे। जब भगवान विष्णु ने ये देखा तो देवताओं का हित करने के लिए मोहिनी रूप धारण किया। मोहिनी का रूप और सौंदर्य देकर असुर उस पर मोहित हो गए।
- मोहिनी ने कहा कि ‘मैं आप सभी को (देवता और असुर) बारी-बारी से अमृत पिलाऊंगी। दोनों इस बात पर राजी हो गए। इस तरह कलश लेकर स्वयं मोहिनी दोनों पक्षों को अमृत पिलाने लगे। लेकिन वास्तव में मोहिनी रूपी भगवान विष्णु सिर्फ देवताओं को ही अमृतपान करा रहे थे।
- ये बात एक दैत्य ने जान ली और उसने देवताओं का रूप बनाकर अमृत पी लिया। तभी सूर्य-चंद्रमा ने उसे पहचान लिया। भगवान विष्णु ने उसी समय अपने चक्र से उसका मस्तक काट दिया, लेकिन उसकी मृत्यु नहीं हुई, क्योंकि वह अमृत पी चुका था। उसी दैत्य का सिर राहु और धड़ केतु कहलाया।
- देवताओं और असुरों में फिर से युद्ध छिड़ गया। देवता अमृत पी चुके थे, इसलिए इस युद्ध में उनकी विजय हुई। मोहिनी रूप देखकर महादेव का वीर्य स्खलित हो गया, जिसे सप्तऋषियों ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में स्थापित कर दिया, जिससे हनुमानजी का जन्म हुआ।

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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