Gudi Padwa 2023: क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा पर्व, इस बार किन शुभ योगों में मनाया जाएगा?

Gudi Padwa 2023: महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 मार्च, बुधवार को है। गुड़ी पड़वा से जुड़ी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे खास बनाती हैं।

 

उज्जैन. पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होता है। महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2023) के रूप में मनाया जाता है, वहीं दक्षिण भारत में इसे उगादि (Ugadi 2023) के नाम से सेलिब्रेट किया जाता है। इस बार गुड़ी पड़वा पर्व 22 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा। गुड़ी का अर्थ होता है विजय ध्वज। गुड़ी पड़वा का पर्व क्यों मनाया जाता है, इससे जुड़ी और भी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। आगे जानिए गुड़ी पड़वा से जुड़ी खास बातें…

भगवान श्रीराम से जुड़ी है गुड़ी पड़वा की कथा (Why celebrate Gudi Padwa?)
वैसे तो गुड़ी पड़वा से जुड़ी कई कथाएं हैं, लेकिन इन सभी में भगवान श्रीराम से जुड़ी कथा भी सबसे अधिक प्रचलित है। उसके अनुसार, त्रेता युग के समय दक्षिण भारत के किष्किंधा में वानरों के राजा बालि का शासन था। जब भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता की खोज करते-करते वहां गए तो उनकी मित्रता बालि के छोटे भाई सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन के बारे में बताया। तब श्रीराम ने बालि का वध कर वहां की प्रजा को बालि के आतंक से मुक्ति दिलाई। उस दिन किष्किंधा वासियों ने विजय पताका फहराई। तभी ये पर्व मनाया जा रहा है।

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शिवाजी ने पाई थी मुगलों पर विजय (Gudi Padwa Ki Katha)
गुड़ी पड़वा से जुड़ी एक अन्य मान्यता ये भी कि जब भारत पर मुगलों का शासन था, उस समय मराठा वीर शिवाजी महाराज ने उसके विरुद्ध आवाज उठाई। शिवाजी महाराज ने योजना बनाकर मुगलों के अधिकार से कई किले जीत लिए। एक बार शिवाजी ने मुगलों पर बड़ी जीत दर्ज की, इसी खुशी में महाराष्ट्रवासियों ने विजय उत्सव मनाया। उस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि थी। तभी से ये पर्व मनाया जा रहा है।

कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे इस दिन? (Gudi Padwa 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 21 मार्च, मंगलवार की रात 11 बजे से 22 मार्च, बुधवार की रात 08.20 तक रहेगी। प्रतिपदा तिथि का सूर्योदय 22 मार्च को होने से इसी दिन गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन शुक्ल, ब्रह्म, बुधादित्य, गजकेसरी नाम के शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते ये पर्व और भी शुभ रहेगा। इन शुभ योगों में की गई पूजा का फल कई गुना होकर प्राप्त होगा।


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