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  • Gudi Padwa 2023: गुड़ी पड़वा 22 मार्च को, क्यों खास ये पर्व, क्या आप जानते हैं इससे जुड़ी इन 4 परंपराओं का कारण?

Gudi Padwa 2023: गुड़ी पड़वा 22 मार्च को, क्यों खास ये पर्व, क्या आप जानते हैं इससे जुड़ी इन 4 परंपराओं का कारण?

Gudi Padwa 2023: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। महाराष्ट्र में इस दिन हिंदू नववर्ष की खुशी में गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 22 मार्च को मनाया जाएगा। इस पर्व से कई मान्यताएं भी जुड़ी हैं। 

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Manish Meharele
Published : Mar 21 2023, 06:00 AM IST
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जानें गुड़ी पड़वा से जुड़ी ये खास बातें...
Image Credit : Getty

जानें गुड़ी पड़वा से जुड़ी ये खास बातें...

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2023) महाराष्ट्र के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व हिंदू नववर्ष के पहले दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलकर नववर्ष की बधाइयां देते हैं और उत्सव मनाते हैं। गुड़ी पड़वा से अनेक मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं, लेकिन बहुत कम लोग इन परंपराओं के कारण के बारे में जानते हैं। आज हम आपको गुड़ी पड़वा से जुड़ी कुछ ऐसी ही खास बातें बता रहे हैं…
 

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गुड़ी पड़वा पर करते हैं ये खास पूजा (Gudi Padwa Tradition)
Image Credit : Getty

गुड़ी पड़वा पर करते हैं ये खास पूजा (Gudi Padwa Tradition)

महाराष्ट्रीय परिवारों में गुड़ी पड़वा पर सोला (रेशमी वस्त्र) पहनकर अपने घर की छत पर या फिर आंगन में एक 5 से 6 फीट ऊंचा डंडा खड़ा करते हैं। उसे वस्त्र से लपेटते हैं। उसके ऊपर कटोरी, गिलास या लोटा उलटा रखकर काजल से आंख, नाक, कान व मुंह की आकृति बनाते हैं। इसके बाद इसकी पूजा की जाती है। इसे ही गुड़ी कहते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से साल भर घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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नीम-मिश्री क्यों खाते हैं? (Why eat Neem-Mishri on Gudi Padwa?)
Image Credit : Getty

नीम-मिश्री क्यों खाते हैं? (Why eat Neem-Mishri on Gudi Padwa?)

गुड़ी पड़वा पर मुख्य रूप से नीम-मिश्री खाने की परंपरा है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। आयुर्वेद के अनुसार, इस समय शीत ऋतु समाप्त होती है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। ऐसी स्थिति में कई रोग होने की संभावना बनी रहती है। इन्हीं रोगों से बचने के लिए नीम की पत्तियां खाने की परंपरा बनाई गई ताकि इसे खाने से रक्त शुद्ध हो और बीमारी का खतरा टल जाए।

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क्यों बनाते हैं पूरनपोली?
Image Credit : Getty

क्यों बनाते हैं पूरनपोली?

हिंदू धर्म में हर त्योहार पर एक खास पकवान बनाने और खाने की परंपरा है। उसी क्रम में गुड़ी पड़वा पर पूरनपोली खाई जाती है। एक एक तरह की मीठी रोटी होती है, जिसे शुद्ध घी से सेका जाता है। मौसम परिवर्तन के कारण शरीर में बीमारियों से लड़ने की इन्युनिटी बनी रहे, इसलिए इस तरह का पौष्टिक भोजन इस समय किया जाता है। पूरनपोली सेहत को ठीक रखती है।

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क्यों मनाते हैं गुड़ी पड़वा? (Why celebrate Gudi Padwa?)
Image Credit : Getty

क्यों मनाते हैं गुड़ी पड़वा? (Why celebrate Gudi Padwa?)

गुड़ी पड़वा की शुरूआत कैसे हुई, इसके पीछे कई मान्यताएं हैं, लेकिन सबके प्रचलित मान्यता ये है कि इस दिन शिवाजी महाराज ने मराठों पर विजय प्राप्त कर हिंदुओं का गौरव बढ़ाया था और उन्होंने ही इस दिन सबसे पहले गुड़ी पूजन किया था। तभी से हिंदू नववर्ष पर गुड़ी पड़वा पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।


 


 

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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