सार
Ugadi 2023: आंध्रा प्रदेश में हिंदू नववर्ष का पर्व उगादि के नाम से मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 मार्च, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन आंध्रा प्रदेश में कई खास परंपराएं निभाई जाती हैं, जो इस पर्व को और भी खास बनाती हैं।
उज्जैन. पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष का आरंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इस बार ये तिथि 22 मार्च, बुधवार को है। देश के कई हिस्सों में हिंदू नववर्ष का पर्व अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। आंध्रा प्रदेश में हिंदू नववर्ष का उत्सव उगादि (Ugadi 2023) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कई परंपराएं निभाई जाती है, जो इस त्योहार को और भी खास बनाती हैं। आगे जानिए कैसे मनाया जाता है उगादि पर्व…
उगादि का अर्थ है नए युग का आरंभ
उगादि का शुद्ध रूप है युगादि, जिसका अर्थ है युग का प्रारंभ। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन से भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि बनाने का कार्य आरंभ किया जाता है इसलिए इस युगादि नाम दिया गया है। इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं और पंडितों से नए साल का पंचांग सुनते हैं। इस दौरान ये भी बताया जाता है कि ये साल खेती-किसानी के लिए कैसा रहेगा।
घर सजाकर मनाते हैं खुशियां
उगादि के मौके पर लोग अपने घरों को फूलों से सजाते हैं और आम के पेड़ की पत्तियों से बना वंदनवार घर के मुख्य द्वार पर सजाते हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से पूरे साल घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आती। ये वदंनवार अच्छी फसल का भी प्रतीक है। इस मौके पर लोग एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई भी देते हैं।
खाई जाती है ये खास चटनी
उगादि के मौके पर एक खास तरह की चटनी बनाई जाती है, जिसे पचेड़ी कहते हैं। इस चटनी में नीम की नरम कोपलें, गन्ना, गुड़, कच्चे आम की फांके तथा नमक डाला जाता है। चटनी में नीम की कोपलें मिलाने का अर्थ है जीवन मीठा ही नहीं, उसमें थोड़ी कटुता (कड़वापन) भी है। इस तरह की खट्टी-मिट्टी चटनी जीवन में होने वाले अनुभवों के बारे में संकेत देती है।
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