Nag Panchami 2024: सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 अगस्त, शुक्रवार को है। महाभारत में एक ऐसे ऋषि के बारे में बताया गया है, जिनका नाम लेने से सांप डरकर भाग जाते हैं।
Nag Panchami 2024 Kab Hai: इस बार 9 अगस्त, शुक्रवार को नागपंचमी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग सांपों की पूजा करते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में भी सांपों के बारे में कईं कथाएं मिलती हैं। ऐसी ही एक कथा महाभारत में भी है, जिसमें एक ऋषि के बारे में भी बताया गया है, जिनका नाम लेने से भयानक से भयानक सांप भी तुरंत भाग जाता है। ये ऋषि कौन हैं और इनका नाम लेने से सांप क्यों भाग जाते हैं, आगे जानिए ये पूरी कथा…
जनमेजय ने किया था नागदाह यज्ञ
महाभारतके अनुसार, राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय को जब ये पता चला कि उसके पिता की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई है तो उन्होंने नागदाह यज्ञ करवाने की निर्णय लिया। इस यज्ञ की अग्नि में बड़े-बड़े बलशाली सांप आकर गिरने लगे। जब ये बात सांपों की बहन जरत्कारू का पता चली तो उन्होंने अपने बेटे आस्तिक से ये नागदाह यज्ञ रुकवाने को कहा।
आस्तिक मुनि ने कैसे रोका नागदाह यज्ञ?
जब आस्तिक मुनि राजा जनमेजय के पास गए तो वे यज्ञ में बैठे थे। वहां जाकर वे यज्ञ की स्तुति करने लगे। जब राजा जनमेजय ने देखा की एक मुनि कुमार को शास्त्रों का इतना ज्ञान है तो वे बहुत खुश हुए और उन्हें उन्हें वरदान देने के लिए बुलाया। तब आस्तिक मुनि राजा जनमेजय से सर्प यज्ञ बंद करने का निवेदन किया। पहले तो जनमेजय ने इंकार किया लेकिन बाद में ऋषियों द्वारा समझाने पर वे मान गए।
आस्तिक मुनि का नाम लेने से क्यों नहीं काटते सांप?
महाभारत के अनुसार, आस्तिक मुनि ने धर्मात्मा सर्पों को नागदाह यज्ञ में भस्म होने से बचा लिया था। उस समय उन्होंने ये भी कहा था कि जो भी व्यक्ति मेरा नाम लेना, उसे कभी भी सर्प भय नहीं होगा यानी सांप उसे नहीं काटेंगे। और जो ऐसा नहीं करेगा, उसका सिर उसी समय फट जाएगा। इसलिए ये मान्यता है कि आस्तिक मुनि का नाम लेने से सांप नहीं काटते और डरकर भाग जाते हैं।
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