Vinayaka Chaturthi 2023: विनायकी चतुर्थी 16 नवंबर को, जानें चंद्रोदय का समय, मुहूर्त और पूजा विधि

Vinayaka Chaturthi November 2023 Date: हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी या वरद चतुर्थी कहते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

 

Kab Hai Vinayaka Chaturthi November 2023: हिंदू धर्म में भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है। हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 1 नहीं 2 दिन रहेगी, जिसके चलते ये व्रत कब करें, इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति बनेगी। आगे जानिए कब करें ये व्रत, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त सहित पूरी डिटेल…

कब करें विनायकी चतुर्थी व्रत? (Vinayaka Chaturthi November 2023 Kab hai)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 नवंबर, गुरुवार की दोपहर 12:35 से शुरू होगी, जो 17 नवंबर, शुक्रवार की सुबह 11:03 तक रहेगी। चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 16 नवंबर को उदय होगा, इसलिए इसी दिन विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा।

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ये है पूजा का शुभ मुहूर्त (Vinayaka Chaturthi November 2023 Shubh Muhurat)
16 नवंबर, गुरुवार की शाम को पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाएगी और इसके बाद चंद्र उदय होने पर अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण किया जाएगा। शाम को पूजा का मुहूर्त 06.13 से 07.45 तक रहेगा। इस दिन चंद्रमा रात 08.32 पर उदय होगा। स्थान के अनुसार, चंद्रोदय के समय में परिवर्तन हो सकता है।

इस विधि से करें विनायकी चतुर्थी व्रत-पूजा (Vinayaki Chaturthi November 2023 Puja Vidhi)
16 नवंबर, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए गए मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा किसी साफ स्थान पर स्थापित करें और सबसे पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं। श्रीगणेश को माला पहनाएं और तिलक लगाएं। इसके बाद दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि चढ़ाते रहें। पूजा के दौरान ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। अंत में भोग लगाएं और आरती करें। चंद्रमा उदय होने पर जल से अर्ध्य दें और फिर स्वयं भोजन करें।

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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