Ambubachi Mela 2024: क्यों 3 दिनों तक बंद रहेगा कामाख्या मंदिर, क्यों लगता है अंबुबाची मेला?

Ambubachi Mela 2024: असम का कामाख्या मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। इस मंदिर से जुड़ी कईं ऐसी परंपराएं हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं। ये मंदिर एक शक्तिपीठ हैं, जहा देवी सती की योनी की पूजा की जाती है।

 

Manish Meharele | Published : Jun 21, 2024 4:12 AM IST

kamakhya temple interesting facts: असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी स्थान पर देवी सती का योनी भाग गिरा था। ये मंदिर हजारों सालों से तांत्रिकों की साधना स्थली रहा है। यहां हर साल 3 दिवसीय एक मेला लगता है, जिसे अंबुबाची कहते हैं। इस बार अंबुबाची मेले की शुरूआत 22 जून से होगी, जो 25 जून तक चलेगा। 26 जून की सुबह परंपरा अनुसार मंदिर कपाट खोले जाएंगे। जानें क्यों खास है अंबुबाची मेला…

क्यों लगता है अंबुबाची मेला? (Kyo Lagta Hai Ambubachi Mela)
अंबुबाची मेले से जुड़ी मान्यता काफी अजीब है। मंदिर के पुजारी आदि लोगों का मत है कि साल में एक बार माता कामाख्या रजस्वला (मासिक धर्म) होती हैं। इस दौरान 3 दिन के लिए मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इन 3 दिनों तक कोई भी व्यक्ति मंदिर में प्रवेश नहीं करता। 3 दिन बाद यानी रजस्वला समाप्ति के बाद मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। इन 3 दिनों तक कामाख्या में मेला लगता है, इसे ही अंबुबाची मेला कहा जाता है। इस दौरान यहां दूर-दूर से तांत्रिक तंत्र क्रिया के लिए आते हैं।

सफेद कपड़ा हो जाता है लाल
जब कामाख्या मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं तो योनी भाग के ऊपर एक सफेद वस्त्र रखा दिया जाता है। 3 दिन बाद जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो ये वस्त्र लाल हो जाता है। भक्तों को यही कपड़ा प्रसाद के रूप में दिया जाता है, जिसे अंबुबाची वस्त्र कहते हैं। भक्त इस कपड़े को बहुत ही पवित्र मानते हैं।

क्यों खास है कामख्या मंदिर?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपने पति महादेव का अपमान होते देखा तो यज्ञ कुंड में कूदकर अपना शरीर त्याग दिया। सती की मृत्यु से व्याकुल होकर महादेव उनके शव को लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे। तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। मान्यता के अनुसार, कामाख्या शक्तिपीठ पर देवी सती का योनी भाग गिरा था। ये मंदिर तंत्र-मंत्र के काफी प्रसिद्ध है। यहां रोज हजारों पशुओं की बलि भी दी जाती है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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