Nautapa 2023: क्या होता है नौतपा, कब से कब तक रहेगा? जानें इससे जुड़ी हर वो बात जो आप जानना चाहते हैं

Nautapa 2023 Date: नौतपा के बारे में हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। कहते हैं कि इस दौरान बहुत तेज गर्मी पड़ती है, जिसके चलते लोगों को दोपहर के समय बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जाती है। हर साल नौतपा मई माह में आता है।

 

Manish Meharele | Published : May 25, 2023 3:52 AM IST

उज्जैन. नौतपा का अर्थ है वे नौ दिन जब सूर्य सबसे ज्यादा तपता है यानी भीषण गर्मी पैदा करता है। (Nautapa 2023 Date) इन 9 दिनों में अगर कोई व्यक्ति ज्यादा समय तक दोपहर के समय बाहर रहे तो उसके बीमार होने की आशंका बना रहती है। इसे डिहाईड्रेशन या अन्य कोई बीमारी हो सकती है। नौतपा से और भी कई परंपराएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। नौतपा कैसे शुरू होता है और इस बार ये कब से कब तक रहेगा, इसके बारे में आगे जानिए…

क्या होता है नौतपा? (Kya Hota Hai Nautapa)
ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं जिन्हें 12 राशियों में बांटा गया है। रोहिणी नक्षत्र वृषभ राशि के अंतर्गत आता है। हर साल 14-15 मई को सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करता है और इसके बाद रोहिणी नक्षत्र में। सूर्य रोहिणी नक्षत्र में लगभग 15 दिन तक रहता है, इसके शुरूआत 9 दिनों को नौतपा कहते हैं। क्योंकि इस दौरान बहुत तेज गर्मी पड़ती है।

इस बार कब से कब तक रहेगा नौतपा? (2023 Mai Kab Se Kab Tak Rahega Nautapa)
साल 2023 में सूर्य ने 15 मई को वृषभ राशि में प्रवेश कर लिया है और ये ग्रह 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा, जहां ये 8 जून तक रहेगा। नौतपा के दौरान बड़े और रातें छोटी हो जाती हैं। नौतपा के दौरान मौसम में हुए परिवर्तन को देखकर ही बारिश की भविष्यवाणी भी की जाती है। नौतपा से जुड़ी और भी कई परंपराएं हैं जो इसे खास बनाती हैं।

नौतपा के दौरान इतनी तेज गर्मी क्यों पड़ती हैं? (Importance Of Nautapa)
नौतपा का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि इससे वैज्ञानिक तथ्य भी जुड़े हैं। खगोलविदों के अनुसार, मई माह में सूर्य पृथ्वी के ठीक ऊपर की स्थिति में आ जाता है, जिससे सूर्य की किरणें लंवबत यानी सीधी पृथ्वी पर आती है, जिसके चलते पृथ्वी का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। यही कारण है कि नौतपा के दौरान बहुत तेज गर्मी पड़ती है।

नौतपा से लगाते हैं बारिश का अनुमान (significance of Nautapa)
पहले के समय में जब मौसम विज्ञान नहीं था, उस समय विद्वान लोग नौतपा में हुए मौसम परिवर्तन को आधार पर ही बारिश का अनुमान लगाते थे। यदि नौतपा के दौरान खूब तेज गर्मी पड़े तो माना जाता था कि इस बार बारिश खूब अच्छी होगी और यदि नौतपा के दौरान बारिश हो जाए तो इसे रोहिणी का गलना कहा जाता था। ये अच्छे मानसून का संकेत नहीं होता था।



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