प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की वारंगल के इस 1400 साल पुराने मंंदिर में पूजा, क्या है इसका कोहिनूर हीरे से कनेक्शन?

Prime Minister Narendra Modi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी 4 राज्यों की यात्रा के दौरान शनिवार को तेलंगाना पहुंचे। यहां उन्होंने वारंगल स्थित भद्रकाली मंदिर पहुंचकर पूजा की और गौ माता को चारा भी खिलाया। ये मंदिर काफी प्राचीन है।

 

उज्जैन. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) इन दिनों 4 राज्यों की यात्रा पर हैं। इस दौरान शनिवार को मोदी तेलंगाना (Telangana) पहुचें। तय कार्यक्रम के अनुसार, उन्होंने वारंगल (Warangal) में स्थित ऐतिहासिक भद्रकाली मंदिर (Bhadrakali Temple) में पूजा की और गौ माता का चारा भी खिलाया। माता भद्रकाली का ये मंदिर बहुत विशेष है क्योंकि इसका संबंध कोहिनूर हीरे से जुड़ा हुआ है। इसके संबंध में कई कथाएं भी यहां प्रचलित हैं। आगे जानिए क्यों खास है वारंगल का ये भद्रकाली मंदिर…

इसलिए इसे कहते हैं दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर
तेलंगाना के वारंगल में स्थित मां भद्रकाली का मंदिर काफी प्राचीन है। मंदिर का निर्माण 625 ईस्वी में चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन द्वितीय द्वारा करवाया गया था। इस गणना से ये मंदिर लगभग 1400 साल पुराना है। इस मंदिर को दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है। इसका कारण है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इस मंदिर की आभा स्वर्णमय दिखाई देती है। इसलिए इसे ‘दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर’ कहते हैं।

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मंदिर और कोहिनूर हीरे का कनेक्शन
वारंगल स्थित मां भद्रकाली से बेशकीमती कोहिनूर का खास कनेक्शन बताया जाता है। इसके अनुसार काकतीय राजाओं ने दुर्लभ कोहिनूर हीरे को देवी की बाईं आँख में जड़वा दिया था। बाद में मुस्लिम शासकों ने जब इस मंदिर पर आक्रमण किया तो वे देवी की आंख में जड़ा कोहिनूर हीरा भी अपने साथ ले गए। ये हीरा कभी महाराज रणजीतसिंह के पास रहा तो कभी ब्रिटिश कंपनी के हाथों में चला गया। बाद में इसे ब्रिटेन की महारानी के ताज में जड़वा दिया गया।

कई बार लूटा गया ये मंदिर
मां भद्रकाली का ये ऐतिहासिक मंदिर एक बार नहीं कई बार विदेश आक्रमणकारियों का निशाना बना। इससे इस मंदिर का वैभव नष्ट हो गया। 1950 के दशक में कुछ व्यापारियों ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। बाद में सरकार ने भी इस मंदिर को एक नया औ आकर्षक रूप दिया। मंदिर के पास में ही एक झील भी है, जिसे भद्रकाली झील कहते हैं। इसकी झील की पूजा भी भक्तों द्वारा की जाती है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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