Sawan 2023: इन दिनों सावन मास चल रहा है, जो भगवान शिव को अतिप्रिय है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। पूजा के दौरान भगवान शिव को कई खास चीजें चढाई जाती हैं।
उज्जैन. सावन (Sawan 2023) का अधिक मास होने से इस वार ये महीना 59 दिनों का रहेगा यानी 31 अगस्त तक। सावन मास में यदि भगवान शिव की पूजा पूरी श्रद्धा से की जाए तो हर तरह की मनोकामना पूरी हो सकती है और महादेव की कृपा भी बनी रहेगी। भगवान शिव की पूजा में कई बातों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। इनकी पूजा में हल्दी, मेहंदी आदि चीजें वर्जित हैं। केतकी का फूल भी शिवजी की पूजा में निषेध है। ऐसा क्यों है, इसका कारण शिवपुराण (ShivPuran) में बताया गया है। आगे जानिए क्यों केतकी का फूल शिवजी की पूजा में नहीं चढ़ाया जाता…
जब विष्णु और ब्रह्मा में हो गया विवाद
शिवपुराण के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा व विष्णु में विवाद छिड़ गया। दोनों एक-दूसरे को श्रेष्ठ बताने लगे। इन दोनों के विवाद के दौरान ही वहां एक विराट ज्योतिर्मय लिंग प्रकट हुआ। दोनों ने ये तय किया कि जो भी इस लिंग के छोर का पहले पता लगा लेगा, वही श्रेष्ठ कहलाएगा।
जब दोनों गए ज्योतिर्लिंग का छोर ढूंढने
ब्रह्मा और विष्णु दोनों स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने के लिए उस ज्योतिर्लिंग का छोर ढूंढने के लिए अलग-अलग दिशाओं में चल पड़े। काफी प्रयास करने के बाद भी भगवान विष्णु को उस ज्योतिर्लिंग का छोर नहीं मिल पाया और वे वापस लौट आए। ब्रह्मा को भी भी सफलता नहीं मिली।
जब ब्रह्माजी ने बोला झूठ
जब ये दोनों देवता मिले तो विष्णु ने तो सच-सच बता दिया कि उन्हें इस ज्योतिर्लिंग का छोर नहीं मिला, लेकिन ब्रह्मा ने झूठ बोला कि उन्होंने ज्योतिर्लिंग का छोर ढूंढ निकाला और केतकी को फूल को इस बात का साक्षी बताया। ब्रह्माजी के असत्य कहने पर स्वयं भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी की आलोचना की।
शिव पूजा में केतकी का फूल इसलिए वर्जित
महादेव ने भगवान ब्रह्मा और विष्णु से कहा कि ‘मैं ही इस सृष्टि उत्पत्तिकर्ता और स्वामी हूं। मैंने ही तुम दोनों को उत्पन्न किया है। तुम दोनों ही मेरे इस ज्योतिर्लिंग स्वरूप का छोर ढूंढने में असफल रहे, लेकिन ब्रह्मा ने झूठ बोला इसलिए विष्णु अधिक श्रेष्ठ हैं। केतकी के जिस फूल को ब्रह्मा ने झूठ का साक्षी बताया है, वह मेरी पूजा में कभी उपयोग नहीं किया जाएगा।’
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।