Vaishakh Maas Ki Katha: वैसाख महीने में प्यासे को पानी पिलाने का महत्व क्यों है? जानें इस कथा से

Vaishakh Maas 2024: हिंदू पंचांग के दूसरे महीने का नाम वैशाख है। इस बार ये महीना 24 अप्रैल, बुधवार से शुरू हो चुका है। इस महीने का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। इस महीने से जुड़ी कईं परंपराएं भी हैं।

 

Vaishakh Maas Story: हिंदू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में 12 महीने होते हैं। इनमें से दूसरे महीने का नाम वैशाख है। इस महीने के पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में होता है, इसलिए इसका नाम वैशाख है। इस बार वैशाख मास 24 अप्रैल, बुधवार से शुरू हो चुका है, जो 23 मई तक रहेगा। इस महीने में कईं प्रमुख त्योहार जैसे अक्षय तृतीया नृसिंह चतुर्दशी और गंगा सप्तमी आदि मनाए जाते हैं। इस महीने में प्यासे लोगों को पानी पिलाने का विशेष महत्व बताया गया है। इससे जुड़ी एक कथा भी धर्म ग्रंथों में मिलती है, आगे जानिए इस कथा के बारे में…

ये है वैशाख मास की कथा (Vaishakh month Katha)
- प्राचीन समय में वंग देश में हेमकान्त नाम के एक राजा थे। एक दिन शिकार खेलते समय में रास्ता भटक गए। वन में राजा को एक ऋषि दिखाई दिए, उनका नाम शतर्चि था। राजा ने उनसे जंगल से बाहर निकलने का रास्ता पूछा, लेकिन समाधि में होने के कारण उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
- ये देख राजा क्रोधित हो गए और जैसे ही उन्होंने तलवार उठाई ऋषि के शिष्य वहां आ गए और उन्होंने राजा को रोक दिया। राजा ने शिष्यों से भोजन आदि की व्यवस्था करने को कहा, लेकिन शिष्यों ने कहा कि ‘हे राजा, हम गुरु की आज्ञा के बिना कुछ नहीं करते। इसलिए हम आपका आतिथ्य नहीं कर सकते।’
- शिष्यों के ऐसा करने पर राजा ने उनका वध कर दिया और जैसे-तैसे अपने नगर आ गए। उन्होंने ये बात अपने पिता को बताई तो ब्रह्म हत्या करने के कारण उन्होंने राजा को ही अपने देश से निकाल दिया। राजा साधारण रूप में वन-वन भटकते रहे। इस तरह 28 साल बीत गए।
- एक दिन वैशाख मास की भीषण गर्मी में महामुनि त्रित जंगल से गुजर रहे थे। भूखे-प्यासे होने के कारण वे वहीं बेहोश होकर गिर पड़े। हेमकांत ने उन्हें देख लिया और पानी पिलाया। ऐसा करने से हेमकांत के पाप नष्ट हो गए। हेमकांत ने अपना शेष जीवन जंगल में तपस्या करते हुए व्यतीत किया।
- अंत समय में जब यमदूत हेमकांत के प्राण लेने आए तो वहां भगवान विष्णु के दूत भी आ गए। उन्होंने यमदूतों से कहा कि ‘वैशाख मास में मुनि को जल पिलाने से अब हेमकांत निष्पाप हो गया है, इसलिए तुम यहां से जाओ, यही भगवान विष्णु के आदेश है।’ यमदूत वहां से चले गए।
- जब भगवान विष्णु के दूतों ने हेमकांत को स्पर्श किया तो पूरी तरह से स्वस्थ और युवा हो गया। वे ही हेमकांत को उनके राज्य और महल में लेकर गए और उनके पिता को पूरी बात बताई। भगवान विष्णु का प्रिय होने के चलते हेमकांत फिर से राजा बन गए और न्यायपूर्वक शासन करने लगे।

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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