Hindu Tradition: वैशाख मास में शिवलिंग के ऊपर क्यों बांधते हैं पानी से भरी मटकी?

Hindu Tradition: हिंदू पंचांग के दूसरे महीने का नाम वैशाख है। इस महीने का खास महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस महीने से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं भी हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।

 

Hindu tradition belief: हिंदू पंचांग के दूसरा महीना वैशाख 24 अप्रैल से शुरू हो चुका है। वैशाख मास का महत्व कईं धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस महीने से जुड़ी कईं खास परंपराएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा ये भी है इस महीने में शिवलिंग के ऊपर पानी से भरी एक मटकी टांगी जाती है, जिसमें से एक-एक बूंद पानी शिवलिंग पर टपकता रहता है। इस परंपरा के पीछे धार्मिक और मनोवैज्ञानिक पक्ष छिपा है। आगे जानिए शिवलिंग के ऊपर क्यों बांधते हैं मटकी…

क्या कहते हैं इस मटकी को?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास में शिवलिंग के ऊपर जो मटकी बांधी जाती है, उसे गलंतिका कहते हैं। इसके नीछे एक छोटा सा छेद होता है, जिसमें से एक-एक बूंद पानी शिवलिंग पर टपकता रहता है। गलंतिका का शाब्दिक अर्थ है, जल पिलाने का करवा या बर्तन। गलंतिका मिट्टी या किसी भी अन्य धातु जैसे पीतल या तांबे आदि की भी हो सकती है।

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क्यों बांधते हैं गलंतिक?
मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन से जब कालकूट विष निकला तो पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया। तब सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया था और अपने गले में रोक लिया। जिसके कारण उनके शरीर का ताप बढ़ गया। उसे शांत करने के लिए उन्हें शीतल जल से स्नान करवाया गया। कहते हैं वैशाख मास में जब भीषण गर्मी पड़ती है, तब महादेव पर भी विष का असर होने लगता है और शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। उसे नियंत्रित रखने के लिए ही शिवलिंग पर गलंतिका बांधी जाती है।

ये है लाइफ मैनेजेंट
वैशाख मास में शिवलिंग के ऊपर गलंतिका बांधना इस बात का संकेत है कि जब सूर्य का ताप अधिक हो तो पानी पीकर ही हम स्वयं को स्वस्थ रख सकते हैं और गर्मी को नियंत्रित कर सकते हैं। इसलिए इस मौसम में अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि डिहाइड्रेशन से बचा जा सके। इससे हम मौसमजनित बीमारियों से भी बचे रहेंगे।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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