Vat Savitri Vrat 2024: हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस व्रत का महत्व कईं धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस बार ये व्रत 6 जून, गुरुवार को किया जाएगा। इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की कथा भी जरूर सुनी जाती है।
Vat Savitri Vrat 2024 Katha: साल 2024 में वट सावित्री का व्रत 6 जून, गुरुवार को किया जाएगा। इस व्रत से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं है। कहते हैं कि जो भी सुहागिन महिला ये व्रत पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से करती है, उसके घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत में सत्यवान और सावित्री की कथा सुनने का भी विधान है। सावित्री ने यमराज से कौन-से 3 वरदान मांगे थे, जिसकी वजह से उन्हें सत्यवान के प्राणों को छोड़ना पड़ा, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है। आगे जानिए उन 3 वरदानों के बारे में…
सावित्री ने यमराज से पहला वरदान कौन-सा मांगा?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब यमराज सत्यवान के प्राण निकालकर अपने साथ यमलोक ले जाने लगे तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने सावित्री को समझाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं मानी। ये देख यमराज ने सावित्री से कहा कि ‘तुम मुझसे कोई भी वरदान मांगो और यहां से लौट जाओ।‘ सावित्री ने कहा कि ‘मेरे सास-ससुर अंधे हैं, इसलिए आप उनकी आंखों की ज्योति लौटा दीजिए।’ सावित्री की बात सुनकर यमराज ने कहा ‘ऐसा हो होगा।‘
सावित्री ने दूसरा वरदान कौन-सा मांगा?
पहला वरदान पाने के बाद भी सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। ये देखकर यमराज ने सावित्री से कहा ‘देवी तुम यहां से वापस लौट जाओ। इस मार्ग पर कोई जीवित मनुष्य नहीं चल सकता।‘ सावित्री के न मानने पर यमराज ने सावित्री को दूसरा वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने कहा कि ‘मेरे ससुर राजा थे, लेकिन दुश्मनों ने उनका राज्य छिन लिया है, उन्हें उनका राज्य पुन: मिल जाए।’ यमराज ने सावित्री को ये वरदान भी दे दिया।
सावित्री ने तीसरे वरदान में यमराज से क्या मांगा?
दूसरा वरदान पाकर भी सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलते हुए यमलोक के द्वार तक पहुंच गई। ये देखकर यमराज ने सावित्री को तीसरा वरदान मांगने को कहा। इस बार सावित्री ने यमराज से 100 संतान और अखंड सौभाग्यवती का वरदान मांगा। यमराज ने सावित्री को ये वरदान भी दे दिया।
सावित्री ने कहा कि ‘प्रभु मैं एक पतिव्रता स्त्री हूं और आपने मुझे पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया है। लेकिन मेरे पति के प्राण तो आपके पास हैं ऐसे में आपका ये वरदान कैसे पूरा हो सकता है।’ सावित्री की बात सुनकर यमराज ने सत्यवान के प्राण छोड़ दिए, जिससे वह पुन: जीवित हो गया। इस प्रकार सावित्री-सत्यवान चिरकाल तक राज्य सुख भोगते रहे।
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