Akshaya Tritiya 2023 Date: अक्षय तृतीया को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद, जानें कब मनाया जाएगा ये पर्व?

Akshaya Tritiya 2023: ज्योतिष शास्त्र में कुछ तिथियों को अबूझ मुहूर्त माना गया है, अक्षय तृतीया भी इनमें से एक है। इस बार इस पर्व को लेकर ज्योतिषियों में 2 मत है। ऐसा पंचांग भेद के कारण हो रहा है। इस दिन परशुराम जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

 

Manish Meharele | Published : Apr 1, 2023 4:08 AM IST / Updated: Apr 11 2023, 11:22 AM IST

उज्जैन. अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2023) हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हर साल ये पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि पर केदारनाथ और बद्रीनाथ के पट खोले जाते हैं। साथ ही भगवान परशुराम जयंती का पर्व भी इस दिन मनाया जाता है। अलग-अलग धर्म ग्रंथों में इस तिथि को लेकर कई खास बातें बताई गई हैं। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है यानी इस दिन बिना मुहूर्त के भी कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह आदि किया जा सकता है। इस बार अक्षय तृतीया को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद की स्थिति बन रही है।

कब मनाया जाएगा अक्षय तृतीया पर्व? (When will Akshaya Tritiya festival be celebrated)
पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 22 अप्रैल, शनिवार की सुबह 07:49 से 23 अप्रैल, रविवार की सुबह 07:47 तक रहेगी। कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि चूंकि तृतीया तिथि 22 अप्रैल को दिन भर रहेगी, इसलिए इसी दिन अक्षय तृतीया का पर्व मनाना चाहिए। जबकि कुछ विद्वानों का मत है कि तृतीया तिथि का सूर्योदय 23 अप्रैल, रविवार को होगा, इसलिए ये पर्व 23 अप्रैल को मनाना ही शास्त्र सम्मत रहेगा।

इसी दिन मनाई मनाई जाएगी परशुराम जयंती (parshuram jayanti date 2023)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार कहे जाने वाले अति क्रोधी परशुराम का जन्म पुरातन काल में अक्षय तृतीया पर ही हुआ था। इसी इसी तिथि पर उनका जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान परशुराम के मंदिरों में विभिन्न आयोजन किए जाते हैं और ब्राह्मणजन रैली आदि निकालकर ये उत्सव बड़ी ही धूम-धाम और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

इसलिए भी खास है ये तिथि (Why is Akshaya Tritiya special?)
धर्म ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। अक्षय का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो। इसलिए कहा जाता है इस दिन किए गए उपाय, पूजा, दान आदि का फल कभी क्षय यानी कम नहीं होता। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के कपाट भी इस दिन आम श्रृद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। भगवान श्रीगणेश ने इसी तिथि पर महाभारत का लेखन शुरू किया था।



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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

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