उत्तर प्रदेश का ‘मिर्जापुर’, जहां पुरुष नहीं महिलाएं करती हैं पिंडदान, जानें कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

Published : Oct 03, 2023, 10:41 AM IST
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सार

Matri Navmi Date 2023: हर साल आश्विन मास में श्राद्ध पक्ष आता है। इन 16 दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान-तर्पण आदि किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में एक स्थान ऐसा भी है, जहां महिलाओं द्वारा पिंडदान किया जाता है। 

उज्जैन. इस बार श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो चुका है जो 14 अक्टूबर तक रहेगा। इन 16 दिनों में लोग रोज अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण-पिंडदान आदि करते हैं। श्राद्ध के लिए हमारे देश में कईं प्रमुख तीर्थ हैं, जहां तर्पण-पिंडदान आदि मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा किया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मिर्जापुर (Mirzapur) में स्थित तीर्थ स्थान पर ये काम महिलाओं द्वारा विशेष रूप से किया जाता है। जानिए क्या है इस स्थान की मान्यता…

मातृ नवमी पर महिलाएं करती हैं तर्पण
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के विंध्य क्षेत्र में स्थित है सीता कुंड (Sita Kund In Mirzapur)। मान्यता है कि इस कुंड का निर्माण देवी सीता द्वारा किया गया था और यहीं पर उन्होंने अपने ससुर महाराज दशरथ का पिंडदान भी किया था। तभी से यहां महिलाओं द्वारा पितरों का तर्पण करने की परंपरा चली रही है। ये काम मुख्य रूप से श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि पर किया जाता है, जिसे मातृ नवमी कहते हैं। इस बार ये तिथि 7 अक्टूबर, शनिवार को है।

श्रीराम ने 4 स्थानों पर किया था पिंडदान
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध चार स्थानों पर किया था। पहला पिंडदान अयोध्या में सरयू नदी के तट पर, दूसरा प्रयाग में, तीसरा विंध्य के रामगया घाट पर चौथा काशी में। उसी दौरान देवी सीता ने सीता कुंड का निर्माण किया और अपने पूर्वजों का तर्पण किया। ये स्थान आज उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की विंध्याचल की पहाड़ी पर स्थित है। प्राचीन परंपरा के अनुसार महिलाएं आज भी यहां पितरों का तर्पण करती हैं।

अन्य राज्यों से भी आती हैं महिलाएं
मातृ नवमी पर अपने पितरों का तर्पण करने के लिए अन्य राज्यों से भी महिलाएं मिर्जापुर के सीता कुंड पर आती हैं। इस दौरान यहां महिलाओं का विशाल समूह देखने को मिलता है। यहां बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित अन्य कईं प्रदेशों की महिलाएं पहुंचती हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर तर्पण-पिंडदान करने से पितरों को सीधे मोक्ष मिलता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।


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