Sharadiya Navratri 2022: इन दिनों शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है। नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 1 अक्टूबर, शनिवार को है। देवी दुर्गा का ये स्वरूप सौम्य है। इनकी पूजा से हर सुख मिलता है।
उज्जैन. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की की षष्ठी तिथि यानी शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri 2022) के छठे दिन देवी कात्यायनी (Devi Katyayani) की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 1 अक्टूबर, शनिवार को है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति मां दुर्गा ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए इनका नाम कात्यायनी हुआ। देवी के इस रूप की पूजा से रोग, शोक, संताप और डर आदि नष्ट हो जाते हैं। आगे जानिए देवी कात्यायनी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती व कथा…
ऐसा है माता का स्वरूप
धर्म ग्रंथों के अनुसार, मां के स्वरूप की बात करें तो इनकी चार भुजाएं हैं। दाहिनी ओर ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। इनका वाहन सिंह है। इनका रूप बहुत ही सौम्य है। देवी कात्यायनी की पूजा से हर तरह के दुख दूर हो जाते हैं।
1 अक्टूबर, शनिवार के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 7:30 से 9 बजे तक- शुभ
दोपहर 12 से 01:30 तक- चर
दोपहर 01:30 से 03 तक- लाभ
दोपहर 03 से शाम 04:30 तक- अमृत
इस विधि से करें देवी कात्यायनी की पूजा (Devi Katyayani Ki Puja Vidhi)
- 1 अक्टूबर, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद देवी कात्यायनी की तस्वीर या प्रतिमा को एक साफ जगह स्थापित करें।
- पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं। देवी कात्यायनी को लाल रंग प्रिय है, इसलिए इन्हें लाल चुनरी, कुमकुम, लाल फूल, लाल चूड़ी आदि चीजें चढ़ाएं।
- मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाया जाता है। साथ ही फल व मेवों का भोग भी लगाएं। देवी कात्यायनी मां का ध्यान करते हुए आरती करें, लेकिन इसके पहले नीचे लिखे मंत्र का जाप करें-
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।
देवी कात्यायनी की आरती (Devi Katyayani Ki Aarti)
जय जय अम्बे जय कात्यानी, जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है, यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी, कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली, अपना नाम जपाने वाली
बृह्स्पतिवार को पूजा करिए, ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी, भंडारे भरपूर करेगी
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे, कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
ये हैं देवी कात्यायनी की पूजा (Devi Katyayani Ki Kahani)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने देवी को प्रसन्न करने के लिए कई सालों तक कठिन तपस्या की। महर्षि की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए। तब महर्षि कात्यायन ने उनसे वरदान मांगा कि उन्हें एक पुत्री चाहिए जो गुणों में बिल्कुल उनकी ही तरह हो। देवी ने उन्हें ये वरदान दे दिया। तब देवी ने स्वयं महर्षि कात्ययान की पुत्री के रूप में जन्म लेकर इस वरदान को पूरा किया। महर्षि कात्यायन के घर जन्मी इस देवी का नाम देवी कात्यायनी हुआ।
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