Bhai Dooj 2022 Date Time: न हों कन्फ्यूज, नोट कर लें भाई दूज की सही तारीख, जानें शुभ मुहूर्त भी

Published : Oct 25, 2022, 11:57 AM ISTUpdated : Oct 26, 2022, 05:07 PM IST
Bhai Dooj 2022 Date Time: न हों कन्फ्यूज, नोट कर लें भाई दूज की सही तारीख, जानें शुभ मुहूर्त भी

सार

Bhai Dooj 2022 Date And Shubh Muhurat :इस बार भाई दूज पर्व को लेकर लोगों के मन में असमंजस की स्थिति बन रही है। कुछ विद्वानों का मत है कि ये पर्व 26 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाना चाहिए, वहीं कुछ का मानना है कि 27 अक्टूबर, गुरुवार को ये पर्व मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा।  

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भाई दूज (Bhai Dooj 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार इस पर्व को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बन रही है। ऐसी स्थिति तिथियों में घट-बढ़ के कारण बन रही है। इस बार कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि 26 और 27 अक्टूबर यानी दोनों दिन बन रही है, जिसके चलते इस पर्व को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है। आगे जानिए ये पर्व किस दिन मनाना शुभ रहेगा और शुभ मुहूर्त भी…

कब से कब तक रहेगी द्वितिया तिथि? ( Bhai Dooj kab hai)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि 26 अक्टूबर, बुधवार की दोपहर 02:42 से 27 अक्टूबर, गुरुवार की दोपहर 12:45 तक रहेगा। चूंकि भाई दूज पर यम और यमुना की पूजा शाम को की जाती है, इसलिए अधिकांश ज्योतिषियों का मत है ये कि पर्व  26 अक्टूबर, बुधवार को ही मनाया जाना चाहिए। वहीं कुछ विद्वानों का मत है कि द्वितिया तिथि का सूर्योदय 27 अक्टूबर, गुरुवार को होगा, इसलिए इसी दिन ये पर्व मनाना शास्त्रों के अनुकूल रहेगा।

जानें दोनों दिन के शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2022 Shubh Muhurat)
26 अक्टूबर, बुधवार को द्वितिया तिथि दोपहर 02.43 से शुरू होगी। इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:12 से 03:27 मिनट तक रहेगा। वहीं शाम को 07:17 से रात 08:53 के बीच यमराज के निमित्त दीपदान कर सकते हैं। 27 अक्टूबर, गुरुवार को भाईदूज का शुभ मुहूर्त सुबह 11.07 मिनट से दोपहर 12.46 तक रहेगा।

क्यों मनाते हैं ये पर्व? (Why celebrate Bhai Dooj)
मान्यता के अनुसार, एक बार यमराज को अपनी बहन यमुना की याद तो वे उनसे मिलने धरती पर आए। उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि थी। उस दिन यमुना को भाई यमराज का आदर-सत्कार करते हुए भोजन करवाया। इसीलिए इस त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यमराज ने प्रसन्न होकर अपनी बहन को वरदान दिया इस दिन जो यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा। तभी ये से पर्व मनाया जा रहा है।


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