हैदराबाद की 22 वर्षीय वेट लिफ्टर भाग्यलक्ष्मी वैष्णव ने हाल ही में तुर्की में हो रही अंतरराष्ट्रीय विश्व क्लासिक पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीता है।
स्पोर्ट्स डेस्क : वह कहावत तो आपने सुनी होगी कि "मुश्किलों से डर कर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती..." कुछ ऐसी ही कोशिश की 22 साल की भाग्यलक्ष्मी वैष्णव (Bhagyalakshmi Vaishnav) ने जिन्होंने कम उम्र में ही कैंसर से पीड़ित अपने भाई को खो दिया। तीन बेटियों की परवरिश करने के लिए मां-बाप को बहुत संघर्ष करना पड़ा। लेकिन बेटी ने भी ठान ली कि वह मां बाप का नाम रोशन करेगी और आज उन्होंने वह करके दिखाया। दरअसल, भाग्यलक्ष्मी की मां ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर है। अपनी मां को प्रेरणा मानते हुए उन्होंने हाल ही में तुर्की में अंतरराष्ट्रीय विश्व क्लासिक पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप (international world classic powerlifting championship) में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। आइए आज हम आपको मिलवाते हैं भाग्यलक्ष्मी वैष्णव से और बताते हैं उनकी संघर्ष की कहानी....
कौन है भाग्यलक्ष्मी वैष्णव
भाग्यलक्ष्मी हैदराबाद के एक गरीब परिवार से आती हैं। उनके पिता एक प्लाईवुड की दुकान में काम करते हैं और मां एक गृहिणी हैं जो कुछ समय पहले ही ब्रेस्ट कैंसर से जंग जीत कर लौटी हैं। वो तीन बहनें और एक भाई थे। लेकिन भाग्यलक्ष्मी ने 2015 में अपने भाई को ब्लड कैंसर से खो दिया था। हालांकि, इन बड़ी कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी वह दृढ़ता से अपने खेल में लगी रही और हैदराबाद के एलबी स्टेडियम से आज तुर्की में हो रही अंतरराष्ट्रीय विश्व क्लासिक पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में जीत का परचम लहरा रही हैं।
जीत के बाद भावुक हुई मां
भाग्यलक्ष्मी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि "जब मुझे मैडल मिला तो सबसे पहले मेरे पापा का ख्याल मेरे मन में आया। जीत के बाद मैंने अपनी मां को वीडियो कॉल किया, वह खुशी से रो रही थी।" उन्होंने कहा कि "मेरी मां मेरी प्रेरणा है क्योंकि उन्होंने अपनी बीमारी पर काबू पा लिया है और यह सोचकर बेहतर हो रही है कि अगर वह नहीं है तो उनकी लड़कियों की देखभाल कौन करेगा? तो वह हमारे लिए कर रही है और मैं उनके लिए कर रही हूं। मेरी माँ और मेरे पिताजी हैं मेरी प्रेरणा।" उन्होंने कहा, "मैं लड़कियों को यह संदेश देना चाहती हूं कि, अन्य लड़कियों को संघर्ष करने और समस्याओं को दूर करने के लिए प्रेरित करना और अपनी सीमाओं को पार करना और अपने सपनों को हासिल करना है।"
ऐसे की वेटलिफ्टिंग की शुरुआत
भाग्यलक्ष्मी में अपनी खेल की शुरुआत कराटे से की थी। लेकिन बाद में उन्हें पावरलिफ्टिंग में रुझान आने लगा। उन्होंने करीमनगर जिला चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। भाग्यलक्ष्मी ने कहा कि उनकी खराब आर्थिक स्थिति के कारण, वह मैंगलोर में एक प्रतियोगिता में भाग नहीं लेना चाहती थी, हालांकि, उनके पिता ने लोन लिया ताकि वह भाग ले सकें। भाग्यलक्ष्मी की जीत के बाद उनके पिता धनराज वैष्णव उनकी बेटी 11वीं क्लास से मेहनत कर रही हैं। आज उसे उसकी मेहनत का फल मिला है।
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